अहमदिया मुस्लिम जमाअत ने हमेशा ही संयम, शुभेच्छा और वास्तविक भाईचारा दिखाया है। यह निरंतर दुनिया भर में पीस सिम्पोज़ियम, सेमीनार, प्रदर्शनियों का आयोजन करती रहती है जिसका उद्देश्य आपसी समझ और सहिष्णुता को बढ़ावा देना है इस कठोर विरोध के बावजूद जिसका सामना दुनिया के कुछ देशों में जमाअत के लोगों को करना पड़ता है।
आज जबकि इस्लाम की आस्थाओं के बारे में बहुत से प्रश्न किए जाते हैं उदाहरण स्वरूप यह कि इस्लाम स्त्रियों पर अत्याचार करता है या अतिवाद या आतंकवाद की शिक्षा देता है तो जमाअत बड़े स्पष्ट रूप से पवित्र क़ुरआन और नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की सुन्नत के सन्दर्भ से इस्लामी हुकूमतों, दार्शनिकता, शिष्टाचार और आध्यात्मिकता को प्रस्तुत करती है। यह स्त्रियों की शिक्षा और उनके लिए समान अधिकारों पर बल देती है। जमाअत को अपनी लाखों शिक्षित स्त्रियों पर गर्व है जो समाज में विभिन्न रूप से अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हैं। जैसे कि डॉक्टर्ज़, इंजीनियर्स, सोशल वर्कर्स और होम मेकर्स इत्यादि।
संसार के समस्त धर्म
इस्लाम
और यदि तेरा रब्ब चाहता तो जो भी धरती पर बसते हैं इकट्ठे सब के सब ईमान ले आते। तो क्या तू लोगों को बाध्य कर सकता है, यहाँ तक कि वे ईमान लाने वाले बन जाएं। और अल्लाह की आज्ञा के बिना किसी व्यक्ति को ईमान लाने का अधिकार नहीं।
इस्लाम, पवित्र क़ुरआन, अध्याय 10: आयत 100-101
जैन मत
जो अपनी ही आस्थाओं की प्रशंसा करते हैं और दूसरों की आस्थाओं को घृणा की नज़र से देखते हैं वे किसी कठिनाई का समाधान प्रस्तुत नहीं कर सकते।
जैन मत, सूत्रकृतांग 1.1.50.
बौद्ध मत
हज़रत बुद्ध अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं : “किसी विशेष दृष्टिकोण से चिमटे रहना और दूसरों के दृष्टिकोण को तुच्छ समझना उसे बुद्धिमान व्यक्ति बेड़ी (ज़ंजीर) के नाम से नामित करता है।”
बौद्ध मत सुट्टा निपाटा 798
हिन्दू मत
शहद की मक्खी के समान जो विभिन्न फूलों से शहद एकत्र करती है। इसी प्रकार बुद्धिमान व्यक्ति विभिन्न ग्रन्थों के महत्व को स्वीकार करता है और प्रत्येक धर्म में अच्छाई देखता है।
हिंदू धर्म, श्रीमद् भागवतम 11.3.
इस्लाम
अब देखो कि इसके बावजूद कि ख़ुदा की शिक्षा के अनुसार मूर्ति कुछ चीज़ नहीं है, परन्तुफिर भी ख़ुदा मुसलमानों को ये शिष्टाचार सिखाता है कि मूर्तियों को बुरा भला कहने से अपनी ज़ुबान बन्द रखो और केवल नर्मी से समझाओ। ऐसा न हो कि वे लोग उग्र होकर ख़ुदा को गालियाँ निकालें और उन गालियों का कारण तुम ठहर
जाओ।
इस्लाम, मसीह मौऊद और महदी अलैहिस्सलाम, पैग़ाम-ए-सुलह -पृष्ठ 29
सिख धर्म
चाहिए कि समस्त मानवता तेरा मत हो।
आदि ग्रंथ, जपुजी 28, मुहल्ला 1, पृष्ठ 6
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