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संक्षिप्त परिचय

अहमदिया मुस्लिम जमाअत

मुसलामन जो मसीह पर ईमान रखते हैं

अहमदियत ही वह वास्तविक इस्लाम है जो चौदह सौ वर्ष पहले हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के द्वारा प्रकट हुआ और वह निज़ाम (व्यवस्था) है जिसका वर्णन पवित्र क़ुरआन में मौजूद है। समय गुज़रने के साथ-साथ इस्लामी शिक्षाएं भिन्न-भिन्न प्रकार की बिदअतों (इस्लाम धर्म में उन बातों की बढ़ोतरी जो रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के समय में न थीं) और बिगाड़ का शिकार होती रहीं और दूसरी ओर कुछ बातों को बिलकुल अनदेखा किया गया और परिणाम स्वरूप उन शिक्षाओं को तलाश नहीं किया जा सका।

जमाअत अहमदिया के संस्थापक ने इन बिदअतों और बिगाड़ों का सुधार किया और आध्यात्मिक सच्चाइयों को तलाश कर के प्रकाशित किया जो पवित्र क़ुरआन में छुपी हुई थीं। परन्तु जो लोग तक़्वा (संयम) से खाली थे वे इसको समझने से वंचित रहे।

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हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद साहब मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम

अतः अहमदियत इस्लाम में एक नवीन तहरीक है जो कि शांति, प्रेम, न्याय और मानवीय जीवन की बहबूदी के बारे में उन महत्वपूर्ण इस्लामी शिक्षाओं पर ज़ोर देती है जो कि 1889 ई० में हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद साहब मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम ने ख़ुदा के मार्गदर्शन के अनुसार कीं जबकि उनको भुला दिया गया था और वास्तविक अवस्था में नहीं थीं। आप अलैहिस्सलाम ने वही दावा किया जिसकी भविष्यवाणी आंहज़रत सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने की थी। इसी प्रकार आपने वही मसीह मौऊद होने की घोषणा की जिसके आने की ख़ुशख़बरी बाइबल और कई इस्लामी पुस्तकों में मौजूद थी। आपने कथित सुधारक होने की भी घोषणा की जिसकी भविष्यवाणी लगभग प्रत्येक नबी ने की थी।

हमारी यह आस्था है कि अल्लाह तआला ने हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद साहब मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम को धार्मिक लड़ाइयों के समापन और रक्तपात की घोर निंदा के लिए अवतरित किया इसलिए ताकि शिष्टाचार और शांति और न्याय की स्थापना हो। आप अलैहिस्सलाम ने मुसलमानों की अतिवादी आस्थाओं और कर्मों के सुधार के लिए इस्लामी शिक्षाओं को बड़े ज़ोर से वर्णन किया। आप ने धर्मों के संस्थापकों और मार्गदर्शकों की शिक्षाओं के आधारभूत रूप से ठीक और सच्चा होने का सत्यापन किया। जिन में ज़रतुश्त, इब्राहीम, मूसा, ईसा, बुद्धा, कनफ्यूशस और गुरु नानक आदि सम्मिलित हैं। आप अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया कि इन सब की वास्तविक शिक्षाएं इस बात का सत्यापन करती हैं कि उनका और इस्लाम की शिक्षाओं का मूल स्रोत एक ही है। 

हज़रत मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम ने ज़ोरदार घोषणा की कि तलवार के साथ जिहाद की अब कोई आवश्यकता नहीं है। इसके बदले आपने मुसलमानों को यह शिक्षा दी कि वह पवित्र क़ुरआन और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के आदर्श को अपनाएं और इस्लाम का बचाव बिना किसी रक्तपात के क़लम (अर्थात लेखन) के साथ करें। अतः आप अलैहिस्सलाम ने प्रत्येक प्रकार के आतंकवाद को सिरे से नकार दिया।

आप अलैहिस्सलाम ने 80 से अधिक पुस्तकें तथा हज़ारों पत्र लिखे, सैंकड़ों भाषण दिए और शास्त्रार्थ किए। जमाअत अहमदिया मुसलमानों को सद्मार्ग की ओर लाने का हर संभव प्रयास करती है। इसी प्रकार ऐसा लिट्रेचर प्रकाशित करती है जो इस्लाम की शिक्षा का वास्तविक ज्ञान प्रदान करता है और धर्मों के मध्य शांति तथा मेल-जोल को बढ़ावा देता है। अहमदिया मुस्लिम जमाअत वह अकेली इस्लामी तंज़ीम है जो धर्म और हुकूमत की पृथकता का समर्थन करती है। अधिकतर मुसलमानों के घोर अत्याचारों और पीड़ाओं और धार्मिक घृणा के बावजूद हम समस्त धर्मों के मानवीय अधिकारों और धार्मिक आतंकवाद के शिकार हुए लोगों का समर्थन करते हैं।

इसी प्रकार यह जमाअत स्त्रियों के समान अधिकारों और आत्म-निर्भर बनाने के प्रोग्रामों में प्रयासरत है। इस जमाअत के लोग सर्वाधिक क़ानून का पालन करने वाले, शिक्षित लोग हैं।

लाह-ए-अमल

शांति, प्रेम और पारस्परिक सहिष्णुता

आज जमाअत अहमदिया दुनिया की सबसे बड़ी तंज़ीम है जो एक ख़ुदाई मार्गदर्शक के अनुसरण में है जोकि हज़रत मिर्ज़ा मसरूर अहमद अय्यदहुल्लाहु तआला बिनस्रिहिल अज़ीज़ हैं। अहमदिया मुस्लिम जमाअत दुनिया के दो सौ से अधिक देशों में करोड़ों की संख्या में है।

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हज़रत मिर्ज़ा मसरूर अहमद ख़लीफ़तुल मसीह अलख़ामिस अय्यदहुल्लाहु तआला बिनस्रिहिल अज़ीज़

हज़रत मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम ने अपने आधारभूत उद्देश्य को वर्णन करते हुए इस बात पर ज़ोर दिया है कि मानवता का ध्यान उच्च मानवीय मूल्यों और शांति की स्थापना की ओर फेर दिया जाए। आप अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया 

“वह कार्य जिसके लिए ख़ुदा ने मुझे भेजा है वह यह है कि ख़ुदा और उसकी सृष्टि के संबंधों में जो मलिनता आ चुकी है उसको दूर कर के प्रेम और शिष्टाचार के संबंध को दोबारा स्थापित करूं।”

लेक्चर लाहौर

इसी प्रकार फ़रमाते हैं:

“दूसरा उद्देश्य यह है कि उसके बन्दों की सेवा और हमदर्दी में अपनी समस्त शक्ति से प्रयास करना और बादशाह से लेकर तुच्छ मनुष्य तक जो उपकार करने वाला हो धन्यवाद और उपकार के साथ व्यवहार। (तोहफ़ा कैसरिया)”

अहमदिया मुस्लिम जमाअत स्कूलों का निर्माण करती है जो कि सबके लिए समान कार्य करते हैं और कई अस्पताल और क्लीनिक चला रही है जो मुफ़्त चिकित्सकीय सहायता प्रदान करते हैं और एशिया और अफ्रीका के कई प्रगतिशील देशों में सार्वजनिक कल्याण और सामाजिक सेवा का कार्य कर रही है और जंगों और और प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों की सहायता करती है। जमाअत अहमदिया का क़ाफिला ख़िलाफ़त-ए-अहमदिया के साए में कार्यरत है।

ख़िलाफ़त नुबुव्वत की जानशीनी करने वाले विभाग को कहते हैं ख़िलाफ़त अहमदिया की ज़िम्मेदारी उन शांतिपूर्ण उद्देश्यों को चलाते रहना है जिन की बुनियाद जमाअत अहमदिया ने रखी, जमाअत अहमदिया के संस्थापक हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद साहब मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम की मृत्यु (1908) से अब तक पांच जानशीन हुए हैं।

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मुद्रण और प्रकाशन

हम इस समय ख़लीफ़तुल मसीह अलख़ामिस अय्यदहुल्लाहु तआला बिनस्रिहिल अज़ीज़ के स्वर्णिम युग से गुज़र रहे हैं जिन्होंने विशवव्यापी जमाअत अहमदिया को एकता की लड़ी में पिरो रखा है। खिलाफ़त के अनुसरण में हम दुनिया के 200 से अधिक देशों में फैल चुके हैं। हम ने 16000 मस्जिदें, 600 स्कूल और 30 अस्पताल बनाए हैं और यह कार्य निरंतर जारी है। हम ने पवित्र क़ुरआन के 70 विभिन्न भाषाओँ में अनुवाद किए और हम 24 घंटे सेटेलाईट टीवी चेनल (MTA), और इन्टरनेट के माध्यम से (www.alislam.org), और मुद्रण (Islam International Publications) के द्वारा इस्लाम की शांति और संयम की वास्तविक शिक्षा का प्रचार कर रहे हैं।

 विशेष रूप से हमारे ख़लीफ़ा ने अपना जीवन इस मार्ग में वक्फ़ (समर्पित) कर रखा है कि इस्लाम को इसके वास्तविक रूप में जोकि शांति का धर्म है देखा और सराहा जाए। एक अहमदी मुसलमान की परिभाषा केवल दो शब्दों में वर्णित की जा सकती है अर्थात वे लोग जो अल्लाह के अधिकार और उसकी प्रजा के अधिकार पूरे करते हैं। इन बातों को करे बिना एक व्यक्ति स्वयं को अहमदी मुसलमान कहलाने का अधिकारी नहीं। यदि हम ध्यान दें तो ज्ञात होगा कि यही वे नेकियाँ और मूल्य हैं जिनकी इस युग में दुनिया को अत्यंत आवश्यकता है। यह ऐसे सिद्धांत हैं जो दुनिया में शांति स्थापित करने के माध्यम बन सकते हैं। ख़ुदा तआला के साथ प्रेम और शिष्टाचार का संबंध तभी स्थापित हो सकता है जब एक व्यक्ति अपने ज़िम्मे ख़ुदा तआला के अधिकार पूर्ण करने वाला हो और उसके अधिकार इसी अवस्था में पूर्ण हो सकते हैं जब उसके आदेशों का पालन किया जाए। जब तक मनुष्य स्वयं शांति से नहीं रहता और अपने जैसे मनुष्यों के साथ शांति से नहीं रहता वह ख़ुदा के साथ भी शन्ति से नहीं रह सकता।

एक अवसर पर हज़रत मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया:

“One should love mankind to such a degree that he should consider the trials and tribulations of others as his own and should pray for them.”

हमदर्दी की इन शिक्षाओं के आधार पर अहमदिया मुस्लिम जमाअत हर संभव प्रयास कर के प्रेम, नरमी, भाईचारा और शांति की शिक्षाएं दुनिया के प्रत्येक कोने में फैलाने का प्रयास करती है।

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