अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के विषय में इस्लाम की प्रस्तुत की हुई शिक्षा अत्यधिक उत्तम और हर बुराई से पवित्र और हर अच्छाई से परिपूर्ण है। और इस्लाम की वर्णित सीमाएँ अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता की खूबी को निखारने वाली और उसकी सुन्दरता को दोबाला करने वाली हैं।
पश्चिमी दुनिया नारी स्वतंत्रता की अग्रदूत मानी जाती है। परन्तु क्या इतिहास में कोई ऐसी महान विभूति भी गुज़री है जिसने महिलाओं को उनके अधिकार इस प्रकार दिलाए हों कि वह आज भी सभ्य से सभ्य क़ौम तथा राष्ट्र के लिए मार्गदर्शक हैं?
नबी करीम स.अ.व के विवाहों की बुद्धिमत्ता (हिकमत) प्राच्यवादियों की कुछ आपत्तियों तथा उनके उत्तर JULY 31, 2021 लेख का स्रोत हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बहुत से विवाह राष्ट्रीय व राजनैतिक कारणों से हुए क्योंकि आप स. अ. व. चाहते थे कि अपने विशेष सहाबियों को विवाह के
मुहम्मद लुक़्मान मजोका – ज्र्मनी JUNE 17, 2021 लेख का स्रोत महामारी से बचाव, कलौंजी, दोपहर का आराम, नींद की कमी, मरीज़ों का हालचाल पूछना तथा अजवा खजूर के बारे में हज़रत मुहम्मद स० अ० व० के मुबारक कथन, उन्नत वैज्ञानिक शोध की रौशनी में। अल्लाह तआला क़ुरआन करीम में आँहज़रत
शाह हारुन सैफी JUNE 15, 2021 शब्द “इन्सान” अरबी शब्द “उन्स” का द्विवचन है जिसका अर्थ है “दो मुहब्बतें”। अर्थात जब किसी व्यक्ति में दो मुहब्बतें एक अल्लाह की मुहब्बत और दूसरी उसकी सृष्टि की मुहब्बत इकट्ठी हो जाती है तब वह व्यक्ति वास्तव में इन्सान कहलाता है। इन्सान की
अनसार अली ख़ान APRIL 06, 2021 किसी भी राष्ट्र तथा जाति की उन्नति उसके युवाओं की उन्नति तथा उनकी प्रतीभा पर निर्भर करती है । युवा लोग हमारे राष्ट्र तथा जाति की प्रगति और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इन्ही युवाओं के प्रयासों से हमारे राष्ट्र के तेजी से
अनसार अली ख़ान MARCH 21, 2021 बताऊँ तुम्हें क्या कि क्या चाहता हूँ,हूँ बन्दा मगर मैं ख़ुदा चाहता हूँ ,जो फ़िर से हरा करदे हर ख़ुश्क पौधा,चमन के लिए वो सबा चाहता हूँ । प्रिय पाठको ! हमारा प्यारा भारत वर्ष एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है , ऋषि-मुनि तथा अवतारों
13 मार्च, 2021 प्रश्न – एक महिला ने इस्लाम में स्त्री और पुरुष के बीच समानता के विषय पर अपनी कुछ उलझनों का वर्णन करके, इस्लाम के विभिन्न आदेशों के बारे में हुज़ूर अनवर (जमाअत अहमदिया के वर्तमान ख़लीफ़ा) से मार्गदर्शन हेतु निवेदन किया। जिस के उत्तर में हुज़ूर अनवर
विश्व एक अत्यन्त उपद्रवयुक्त दौर से गुज़र रहा है। विश्व का आर्थिक संकट निरन्तर प्रत्येक सप्ताह नवीन से नवीन तथा कठिनतम ख़तरे प्रकट कर रहा है। द्वितीय विश्व-युद्ध के ठीक पहले की समानताएं निरन्तर प्रकट हो रही हैं तथा स्पष्ट तौर पर ऐसा दिखाई देता है कि घटनाएं विश्व को
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