सूर्य और चन्द्र ग्रहण का वृतांत

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ग्रहण

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Mirza_Ghulam_Ahmad
हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद क़ादियानी मसीह मौऊद व महदी मौहूद अलैहिस्सलाम

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सूर्य और चन्द्र ग्रहण का वृतांत

अंतिम युग में एक अध्यात्मिक सुधारक के आने की भविष्यवाणी समस्त धार्मिक पुस्तकों और शिक्षाओं में पाई जाती हैं। इस लेख में हम आंहज़रत सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की एक महान भविष्यवाणी का वर्णन करेंगे जो सत्याभिलाषियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की भविष्यवाणी के अनुसार आने वाले की एक निशानी चंद्रमा और सूर्य को रमज़ान के महीने में एक निर्धारित तिथि को ग्रहण लगना बताई गई है।

کسوف و خسوف

चन्द्र और सूर्य ग्रहण की महान भविष्यवाणी

1891 ई० में हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम अलैहिस्सलाम ने वही इमाम महदी और मसीह मौऊद होने का दावा किया जिसके आने की भविष्यवाणी आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने की थी। इस के बाद आप अलैहिस्सलाम के विरोधियों ने आप अलैहिस्लाम से चन्द्र और सूर्य ग्रहण के ख़ुदाई निशान की मांग आरंभ कर दी जिसका वर्णन दारुल कतनी (हदीस की पुस्तक) में इन शब्दों में वर्णन है:

’’ اِنَّ لِمَھْدِیَّنَا آیَتَیْنِ لَمْ تَکُوْنَا مُنْذُ خلق السَّمَوَاتِ وَالأَرْضِ،

تَنْکَسِفُ الْقَمَرُ لأَوَّلِ لَیْلَۃٍ مِنْ رَمَضَانَ، وَ تَنْکَسِفُ الشَّمْسُ فِي النِّصْفِ مِنْہُ،

وَلَمْ تَکُوْنَا مُنْذُ خَلَقَ اللّٰہُ السَّمَوَاتِ وَ الأَرْضَ ‘‘

(سُنَنُ الدَّارقطنی کتاب العیدین)

"अर्थात हमारे महदी के लिए दो निशान हैं और जब से कि ज़मीन और आसमान ख़ुदा ने पैदा किया यह दो निशान किसी और मामूर और रसूल के लिए प्रदर्शित नहीं हुए। इन में से एक यह है कि महदी मौऊद के युग में रमज़ान के महीने में चन्द्र का ग्रहण उसकी प्रथम रात में होगा अर्थात तेरहवीं तिथि में। और सूर्य का ग्रहण इसके दिनों में से बीच के दिन में से होगा। अर्थात इसी रमज़ान के महीने की अठाईसवीं तारीख़ को।"

इस भविष्यवाणी से संबंधित पवित्र क़ुरआन की आयतें और हदीसें हमारा बेहतर मार्गदर्शन करती हैं। ग्रहण को पवित्र क़ुरआन में भी काफी महत्व दिया गया है। पवित्र क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है:

يَسأَلُ أَيّانَ يَومُ القِيامَةِ ۝ فَإِذا بَرِقَ البَصَرُ۝
وَخَسَفَ القَمَرُ۝ وَجُمِعَ الشَّمسُ وَالقَمَرُ۝

يَقولُ الإِنسانُ يَومَئِذٍ أَينَ المَفَرُّ۝

वह पूछता है क़यामत का दिन कब होगा? तू (उत्तर दे कि) जब दृष्टि अंधी हो जाएगी। और चंद्रमा को ग्रहण लग जाएगा। और सूर्य और चन्द्रमा इकट्ठे किए जाएंगे। उस दिन मनुष्य कहेगा भागने का मार्ग कहाँ है?

1894

1894 ई० में चंद्रमा और सूर्य ग्रहण का यह ख़ुदाई निशान क़ादियान में अपनी निर्धारित तिथियों में घटित हुआ। चंद्रमा को रमज़ान के महीने की तेरहवीं तिथि 21 मार्च 1894 ई० को ग्रहण लगा जबकि 21 मार्च 1894 ई० को रमज़ान के महीने की 28 तारीख़ को सूर्य को ग्रहण लगा। इस समय के अख़बारों में Almanacs के अतिरिक्त हिंदुस्तान के विभिन्न अख़बारों ने इस ख़बर को प्रकाशित किया जिस में Azad और Civil and Military Gazette सम्मिलित हैं।