हज़रत मिर्ज़ा मसरूर अहमद

विश्वव्यापी अहमदिया मुस्लिम जमाअत के पांचवें खलीफा और इमाम

खिलाफत

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खिलाफत

शब्द ख़िलाफ़त का अर्थ है उत्तराधिकारी, और ख़लीफ़ा अल्लाह तआला के नबी का उत्तराधिकारी होता है जिसका उद्देश्य यह है कि नबी के द्वारा सुधार और व्यावहारिक प्रशिक्षण के कार्य को सफलतापूर्वक किया जाए। अल्लाह तआला को मानने वाली जमाअत जब तक अल्लाह की इच्छा होती है ख़िलाफ़त के अंतर्गत अपनी आस्थाओं और ईमानों की परवरिश करती रहती है। अल्लाह तआला पवित्र क़ुरआन में फ़रमाता है :

“तुम में से जो लोग ईमान लाए और सत्कर्म किए उन से अल्लाह ने पक्का वादा किया है कि उन्हें अवश्य ज़मीन में ख़लीफ़ा बनाएगा जैसा कि उसने उन से पहले लोगों को ख़लीफ़ा बनाया और उनके लिए उनके धर्म को, जो उसने उनके लिए पसंद किया, अवश्य दृढ़ता प्रदान करेगा और उनकी भयपूर्ण अवस्था के बाद अवश्य उन्हें शांतिपूर्ण अवस्था में परिवर्तित कर देगा। वे मेरी उपासना करेंगे मेरे साथ किसी को साझीदार नहीं ठहराएंगे। और जो उसके बाद भी कृतघ्नता करे तो यही वे लोग हैं जो अवज्ञाकारी हैं। (सुरह अन्नूर-56)” 

व्यक्तिगत
परिचय

आप का जन्म 15 सितंबर 1950 ई० को रब्वाह पाकिस्तान में हुआ। स्वर्गवासी हज़रत मिर्ज़ा मंसूर अहमद और नासिरा बेग़म के यहाँ आपका जन्म हुआ। 1977 ई० में आपने पाकिस्तान की कृषि विश्वविद्यालय फैसलाबाद से कृषि अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री करने के बाद आपने अपने जीवन को इस्लाम की सेवा के लिए प्रस्तुत किया। 1977 ई० से 1985 ई० तक आप घाना (अफ्रीका) में विभिन्न कृषि प्रोजेक्ट्स में और बहुत से शैक्षिक कार्यों में व्यस्त रहे और घाना के इतिहास में प्रथम बार वहां की धरती पर गेहूं की फ़सल उगाने में सफ़ल हुए। इसके बाद आप 1985 ई० में पाकिस्तान वापिस आए और 18 वर्षों तक जमाअत के विभिन्न पदों पर रहते हुए सेवा की जिस में नाज़िर आला व अमीर मुक़ामी पाकिस्तान की ज़िम्मेदारी भी सम्मिलित है। यह ज़िम्मेदारियां 1997 ई० से लेकर ख़लीफ़ा चयनित होने तक आप के ज़िम्मे रहीं।

आप लंदन में अपनी पत्नी अमतुल सबूर साहिबा के साथ रहते हैं आप के दो बच्चे और पांच नवासे नवासियाँ और पोते पोतियाँ हैं। आपके दैनिक जीवन की आदत में बाग़ बानी, अध्ययन और फ़ोटोग्राफ़ी और सैर वर्णन योग्य है।

خلیفۃ المسیح

हज़रत मिर्ज़ा मसरूर अहमद विश्वव्यापी अहमदिया मुस्लिम जमाअत के पांचवें खलीफा और इमाम

Elected to the lifelong position on 22nd April 2003, he serves as the worldwide spiritual and administrative head of an international religious organization with membership exceeding 10’s of millions spread across over 200 countries and territories. As the current Khalifa, he is guiding the Community through a time of great global scepticism and animosity towards Islam.

अहमदी मुसलमानों
से संपर्क

हुज़ूर अनवर अय्यदहुल्लाहु तआला बिनस्रिहिल अज़ीज़ को समस्त दुनिया के अहमदियों की ओर से हज़ारों की संख्या में पत्र प्राप्त होते हैं जिस में वे जमाअत के इमाम से विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन और दुआ का निवेदन करते हैं जिसका जमाअत के इमाम उत्तर भी देते हैं। हुज़ूर अनवर प्रतिदिन जमाअत के लोगों से मुलाक़ात भी करते हैं।

डाक के पते

इस्लामाबाद,
शीपहैच, टिलफोर्ड GU10 2AQ, ब्रिटेन

या

लंदन मस्जिद,
16 ग्रेसनहॉल रोड, लंदन SW18 5QL, ब्रिटेन

फैक्स नंबर
  1. +44 (203) 988 3922
  2. +44 (208) 870 5234

ख़ुत्बा जुमा का
लाइव प्रसारण

प्रत्येक सप्ताह हुज़ूर अनवर अय्यदहुल्लाहु तआला बिनस्रिहिल अज़ीज़ MTA के माध्यम से जमाअत के लोगों से संबोधित होते हैं। यह ख़ुत्बा जुमा जमाअत के चैनल MTA पर लाइव प्रसारित किया जाता है। इस चैनल का आरंभ 1994 ई० में हुआ, जो विभिन्न भाषाओँ में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है। MTA को लाइव देखने के लिए mta.tv और YouTube का प्रयोग किया जा सकता है। हुज़ूर अनवर अय्यदहुल्लाहु तआला बिनस्रिहिल अज़ीज़ का ख़ुत्बा जुमा 18 भाषाओँ में प्रसारित किया जाता है। हुज़ूर अनवर अय्यदहुल्लाहु तआला बिनस्रिहिल अज़ीज़ अपने ख़ुत्बा जुमा में अहमदी लोगों का विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन करते हैं।

ख़ुत्बा जुमा का लाइव प्रसारण

विश्वव्यापी अहमदिया मुस्लिम जमाअत के पांचवें खलीफा और इमाम

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शांति

शांति

आप एक विश्वव्यापी मुसलमान मार्गदर्शक हैं जो धार्मिक सहिष्णुता और शांति को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत हैं। अपने भाषणों, पुस्तकों और निजी मुलाक़ात के द्वारा अल्लाह के अधिकारों और मानवता के अधिकारों की ओर ध्यान दिला रहे हैं। आप मानवीय अधिकारों को स्थापित करने, न्याय पर आधारित समाज की स्थापना और धर्म को हुकूमत से पृथक रखने की ओर ध्यान दिलाते रहते हैं।

ख़िलाफ़त के चयन के बाद आप के नेतृत्व में दुनिया भर की अहमदिया जमाअत इस्लाम का वास्तविक संदेश पहुँचाने के लिए समस्त मीडिया या माध्यमों का प्रयोग कर रही है, आप ही के नेतृत्व में ऐसी बहुत सी तहरीकें हुईं जिन के द्वारा राष्ट्रीय अहमदी प्रबंधकों ने कार्य किया जो वास्तव में इस्लाम ही की शांतिपूर्ण शिक्षाओं का प्रतिबिंब हैं।

दुनिया भर के अहमदी लोग प्रत्येक मैदान में लाखों की संख्या में मुस्लिम और गैर मुस्लिम लोगों को लीफ्लेट्स बांटने में कार्यरत हैं जिस में शांति, प्रेम, देश प्रेम, और पवित्र क़ुरआन का आकाशीय संदेश सम्मिलित हैं।

He awakens the world that the world is passing through very turbulent times. The global economic crisis continues to manifest newer and graver dangers almost every week. The similarities to the period just before the Second World War continue to be cited and it seems clear that events are moving the world at an unprecedented pace towards a horrific Third World War. He warns the world of the fast approaching dangers and how it can avert disaster and chart a course to peace.

In 2012, both the United States Congress and the European Parliament benefited directly from His Holiness’s message of peace, justice and unity.

इसी प्रकार 27 जून 2012 ई० में हज़रत मिर्ज़ा मसरूर अहमद ख़लीफ़तुल मसीह अलख़ामिस अय्यदहुल्लाहु तआला बिनस्रिहिल अज़ीज़ को कैपिटल हिल वाशिंगटन डी.सी में एक भाषण के लिए आमंत्रित किया गया जहाँ आप ने “न्याय का मार्ग, क़ौमों के मध्य न्याय पर आधारित संबंध” के विषय पर इस्लामी शिक्षाएं प्रस्तुत कीं जिस में 30 से अधिक United State Congress के मेंबर्स सम्मिलित थे। इस प्रोग्राम में वर्तमान ख़लीफ़ा के आगमन के सम्मान में एक रेज़ुलुशन भी पारित किया गया।

4 दिसंबर, 2012 को हज़रत ख़लीफ़तुल मसीह अय्यदहुल्लाहु तआला बिनस्रिहिल अज़ीज़ ने यूरोपीय संसद, ब्रसेल्स में 30 से अधिक देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले 350 से अधिक मेहमानों को संबोधित किया। इस अवसर पर युरोपीय संसद के अध्यक्ष भी उपस्थित थे। आप के इस 35 मिनट के भाषण में आपने यूरोपीय संघ को संबोधित करते हुए कहा कि

“आपको अपनी एकता को बनाए रखने एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में समानता और न्याय को ध्यान में रखने की आवश्यकता है।”

दिनांक 11 फ़रवरी 2014 ई० को जमाअत अहमदिया ने अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक कांफ्रेंस, गिल्ड हाल, बर्तानिया में भाषण दिया। इस दौरान आप ने पारस्परिक एकता को बढ़ावा देने और पारस्परिक सम्मान के संबंध में इस्लामी शिक्षाओं को पवित्र क़ुरआन तथा आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की बताई हुई शिक्षाओं के आलौक में वर्णन किया।

2004 ई० में आप ने वार्षिक शांति परिसंवाद (पीस सिम्पोज़ियम) का आरंभ किया जिसमें जीवन के समस्त भागों से संबंधित लोग जिनमें सरकारी अधिकारी, राजनीतिज्ञ, पत्रकारों को शांति और पारस्परिक सहिष्णुता के विषय पर विचार विमर्श करने का अवसर प्राप्त हो रहा है।

इसी प्रकार जमाअत अहमदिया धार्मिक सहिष्णुता और शांति के लिए कांफ्रेंस करने में भी व्यस्त है इसी प्रकार क़ुरआन की प्रदर्शनी के माध्यम से भी इस्लाम की वास्तविक शिक्षा को पहुंचा रही है इन समस्त तहरीकों ने दुनियाभर की मिडिया को आकर्षित किया और इसके माध्यम से इस्लाम की वास्तविक शिक्षा का लोगों को ज्ञान हुआ कि इस्लाम शांति, देश प्रेम और मानवता की सेवा की शिक्षा देता है।

अमेरिका, कनाडा, बर्तानिया और यूरोप के पार्लिमेंटस ने भी आप के शांति, न्याय और एकता के संदेश से लाभ प्राप्त किया। इसी प्रकार विश्वव्यापी धार्मिक कांफ्रेंस से भी आप संबोधित हुए।

इसी प्रकार 2009 ई० में शांति को बढ़ावा देने का वार्षिक पुरुस्कार Ahmadiya Muslim Prize for the Advancement of peace का आरम्भ किया जिसमें शांति और मानवीय अधिकारों की स्थापना हेतु उच्च कार्य करने वाले लोगों को इस सम्मान से पुरुस्कृत किया जाता है। अधिक जानकारी के लिए देखें: https://peacesymposium.org.uk

अहमदिया जमाअत के इमाम (ख़लीफ़ा) ने मानवता की सेवा को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर का दौरा किया और लोगों का ध्यान आकर्षित किया। राष्ट्रपतियों, मंत्रियों, राजनेताओं और इसी प्रकार विभिन्न प्रांतों के महत्वपूर्ण सदस्यों और प्रतिनिधियों के साथ उनकी नियमित बैठकें हुईं।

  • भाषण कैपिटल हिल  Video | Text
  • भाषण यूरोपीय संसद  Video
  • भाषण मोंटेज होटल अमेरिका  Video | Text
  • भाषण हॉउस ऑफ़ यू-के  Video
  • भाषण केनेडियन राष्ट्रीय संसद
  • भाषण डच नेशनल पार्लियामेंट

Capitol Hill

Capitol Hill

हुज़ूर अनवर ने विशेष रूप से विकसित देशों में बढ़ती समस्याओं के समाधान पर विशेष ध्यान दिया है। इस संबंध में उन्होंने कृषि के क्षेत्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसी तरह सभी को भोजन और स्वच्छ पानी प्राप्त हो तथा आपने बिजली के क्षेत्र में भी काम किया है। इसी तरह अहमदिया आर्किटेक्ट और इंजीनियर्स एसोसिएशन के माध्यम से आपने गाँवों और देहात में बहुत से महत्वपूर्ण काम किए हैं। आपके समय में यह सिलसिला बहुत तेज़ी से कार्य कर रहा है। जमाअत अहमदिया के इमाम सभी कार्यों का अवलोकन करते हैं और यह एक निःस्वार्थ और कल्याणकारी कार्य है जो विभिन्न आपदाओं के समय में लोगों की सहायता करना है। यह संगठन ग़रीबों और असहायों की भी मदद करता है।

अहमदिया जमाअत के इमाम के नेतृत्व में अहमदिया जमाअत ने कई स्कूल्स और अस्पताल उच्च सुविधाओं के साथ दूर-दराज़ के क्षेत्रों में स्थापित किए हैं। इसी प्रकार अहमदिया मुस्लिम जमाअत की कुछ तहरीकों के द्वारा बहुत से ज़रूरतमंद छात्रों की भी सहायता की जाती है।

Following his election in 2003, His Holiness was forced into exile from Pakistan, his native country. Pakistan’s Constitution and Penal Code restricts members of the Ahmadiyya Muslim Community from practising or associating with Islam, or from even identifying themselves as Muslims. Violations of these repressive laws results in fines, imprisonment, and potentially capital punishment. Consequently the legislation prevents His Holiness from fulfilling his duties as Head of the Community and accordingly he is unable to return to Pakistan.

Despite the continued sectarian persecution that Ahmadi Muslims are subjected to in various Muslim majority nations, His Holiness expressly forbids any violence. On 28 May 2010, anti-Ahmadiyya terrorists attacked two mosques belonging to the Ahmadiyya Muslim Community in Lahore, Pakistan. 86 Ahmadi Muslims were martyred during their Friday Prayers, whilst scores more were injured. Despite the barbaric nature of this pre-meditated crime against humanity, His Holiness instructed Ahmadi Muslims worldwide to respond only through prayers and entirely peaceful means.

At an individual and collective level, on local, national and international platforms, His Holiness is striving to advise all others of the practical means of establishing peace, based on the true teachings of Islam. Some of his Golden words are quoted below;

 “The Holy Quran does not tell people to scrutinize one another’s differences, rather, it speaks about looking at that which is common between people. That uniting factor amongst different religions is a belief in the One God.” Nahe, Germany — 26 October 2019

“In terms of the Ahmadiyya Muslim Community, we believe that under no circumstances does Islam permit the use of force or any type of coercion in the spread of faith.” Berlin, Germany — 22 October 2019

“Unquestionably, women play an indispensable role in society because the future – generations lie in their laps and grow up in their tender care.” Lajna UK Ijtema – 15 September 2019

“We should utilise all of our energies and faculties to pursue peace by seeking to end every conflict amicably, through dialogue and mutual compromise and by fulfilling the rights of one another.” 9 March 2019 – National Peace Symposium UK

“Is it right for a religion to change its basic beliefs due to the latest fashion trends or should it remain true to its original teachings? A true religion would always remain on its original teachings.” Germany 2015

“We should seek to help the disadvantaged in a selfless manner and should never exploit them in any way. Unfortunately, in today’s society where projects or opportunities are created to apparently ‘help’ the disadvantaged, they are often based on a system of credit where the repayment is subject to in­terest. For example, students are often given loans to help them complete their education or people take loans to start businesses, yet it takes them years or even decades to repay them. If after years of struggle, or an economic crisis strikes, then they can end up at the original level of debt or quite possibly in an even worse finan­cial state. We have witnessed or heard about countless examples of this during the past few years, when many parts of the world have been plagued by a financial crisis”. German Mosque 2012

“This factor is obvious from today’s credit crunch. In the begin­ning there were individuals who borrowed money to buy prop­erty; but before they could see ownership of the property they used to die burdened with the debt. But now there are govern­ments that are burdened with debt and smitten as if with insanity. Large companies have become bankrupt. Some banks and finan­cial institutions have folded or been bailed out and this situation prevails in every country, regardless of its being rich or poor. You know better than I do about this crisis. The money of the deposi­tors has been wiped off. Now it depends upon governments as to how and to what extent to protect them. But for the time being, the peace of mind of the families, business-men and leaders of the governments in most countries of the world has all but been destroyed”. British Parliament 2008

Foreign policy injustice con­tinues to be prevalent and is fuelling wars in different countries leading to the deaths of innocent men, women and children. Certain major powers continue to prioritise their business interests over and beyond everything else and so are selling extremely advanced weapons to other countries, even where there is clear evidence that such artillery is being used to kill or maim innocent people and to destroy countless lives. York University Canada 2016

We must remember that when human efforts fail, then God Almighty issues His Decree to determine the fate of mankind. Before God’s Decree sets into motion and compels people towards Him and towards fulfilling the rights of mankind, it would be far better if the people of the world should themselves come to pay attention to these crucial matters, because when God Almighty is forced to take action, then His Wrath seizes mankind in a truly severe and terrifying manner. 9th National Peace Symposium UK

God’s Law, however, is perfect and so no vested interests or unfair provisions exist. This is because God only desires for the good and betterment of His Creation and therefore, His Law is based entirely on justice. The day the people of the world come to recognise and understand this crucial point will be the day that the foundation for true and everlasting peace will be laid. US Capitol Hill 2012

ख़िलाफ़त-ए-अहमदिया

शब्द "ख़िलाफ़त" के अर्थ उत्तराधिकारी के हैं और ख़लीफ़ा अल्लाह के नबी
का उत्तराधिकारी होता है जिस का कार्य नबी के द्वारा किए गए सुधार तथा
नैतिक कार्यों को पूर्णता की ओर ले जाना होता है।
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जानिए कि कैसे आप पूरी दुनिया में शांति और अंतर-धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा दे रहे हैं।