अंतिम दिनों में एक आध्यात्मिक व्यक्ति के आने की भविष्यवाणी प्रत्येक धर्म में पाई जाती है जिसने धर्म के नवीनीकरण के लिए आना था। मुसलमान एक इमाम महदी और मसीह की प्रतीक्षा कर रहे हैं। मसीह व महदी मौऊद के अवतरण की भविष्यवाणी स्वयं हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने की है।
इस संबंध में जमाअत अहमदिया की क्या आस्था है, इसके बारे में विस्तार से यहां मालूम किया जा सकता है। ये कुछ पृष्ठ हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद इमाम महदी व मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम के जीवन, उनके आने का समय इसी प्रकार आपका पवित्र जीवन और विरोधियों के खिलाफ़ आपको प्राप्त सहायताएं, इसी प्रकार आप की जमाअत की भविष्य में आने वाली उन्नतियों को उजागर करने वाले हैं।
مسیح موعود
हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद अलैहिस्सलाम 13 फ़रवरी 1835 ई० को हिंदुस्तान के एक छोटे से क़स्बे क़ादियान में पैदा हुए। आप एक प्रतिष्ठित परिवार से संबंध रखते थे। आप अलैहिस्सलाम का बचपन से ही अल्लाह तआला के साथ गहरा संबंध था। आप को युवा अवस्था के आरंभ से ही इल्हाम, रोया और कश्फ़ (तन्द्रावस्था) और सच्चे स्वप्न आने आरंभ हो गए थे।
आपके पिता आपको एक सरकारी नौकरी में देखना चाहते थे जो आपके परिवार को आर्थिक रूप से बेहतर सहयोग दे सकती थी, जबकि आप इस सांसारिक पेशे को एक कैद के समान मानते थे इस का कारण यह था कि आपका अल्लाह तआला और आध्यात्मिकता से लगाव और इस में और अधिक उन्नति करने की रुचि। यही कारण है कि अपने ख़ाली समय में आप पवित्र क़ुरआन पर विचार करते थे और मानवता की सेवा पर ध्यान केंद्रित करते थे और अधिकतर ज़रूरतमंदों की मदद करते थे। इसी प्रकार आप अपने आस-पास के ईसाई पादरियों के साथ वार्तालाप और विचार विमर्श करते और शास्त्रार्थ के द्वारा अपने प्रिय धर्म इस्लाम की रक्षा करते थे।
जून 1876 ई० का समय आपके पिता की मृत्यु के कारण आपके लिए बहुत कठिन रहा और मृत्यु से पहले ही आपको अल्लाह तआला की ओर से अपने पिता की मृत्यु के बारे में इल्हाम हुआ था। आप अपने पिता की मृत्यु के कारण अत्याधिक दुःख की स्थिति में थे और आप अपने परिवार की परेशानियों के बारे में सोच कर भी काफी चिंतित थे और धन की कठिनाई की चिंता भी आप को परेशान कर रही थी। क्योंकि आप अल्लाह तआला के प्रिय थे, इसलिए अल्लाह ने एक और इल्हाम किया :-
“क्या अल्लाह अपने बन्दों के लिए पर्याप्त नहीं है” (39:37)
इस इल्हाम ने आपके दिल को शांति से भर दिया और आपका दिल ईमान (विश्वास) से भर गया और आप आश्वस्त हो गए कि अल्लाह तआला हमेशा आपकी सहायता करेगा। 1868 या 1869 ई० में आपको एक और इल्हाम हुआ:
“ख़ुदा ने मुझे संबोधित कर के कहा कि मैं तुझे बरकत पर बरकत दूंगा यहाँ तक कि बादशाह तेरे कपड़ों से बरकत ढूंढेंगे।”
इतिहास साक्षी है कि अल्लाह तआला के इस इल्हाम ने वास्तविक रूप लिया और हज़रत मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम के पास दुनियाभर से लोग पहुंचे और प्रत्येक जाति-नस्ल के लोग आए इसी प्रकार अमीर और ग़रीब भी पहुंचे और यह सिलसिला आज तक चल रहा है।
मूसलाधार इल्हामों और स्वप्नों का यह सिलसिला जारी रहा यहां तक के 1882 ई० में आपको एक इल्हाम हुआ जिसने यह बात स्पष्ट कर दी कि आप ही वह चयनित अस्तित्व है जो ख़ुदा की ओर से निर्धारित किए गए हैं और आप ही मसीह मौऊद हैं इसी प्रकार आप ने ही अल्लाह तआला की इच्छा को पूरा करना है।
मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम की प्रथम पुस्तक बराहीन-ए-अहमदिया, अहमदियत के लिए एक महत्वपूर्ण और बहुत बड़ा कदम थी।
इस पुस्तक में न केवल अहमदियत को दृढ़ता प्रदान की अपितु इस्लाम को भी ठीक आवश्यकता के समय दुनिया के समक्ष मज़बूती के साथ प्रस्तुत किया। बराहीन-ए-अहमदिया के प्रकाशन के समय इस्लाम विभिन्न विरोधी शक्तियों और विभिन्न धर्मों की ओर से हमलों का शिकार था जिसमें ईसाइयत भी सम्मिलित है। बराहिन-ए-अहमदिया ने पढ़ने वालों को इस्लाम अहमदियत के विरुद्ध होने वाले आरोपों का तर्कपूर्ण उत्तर दिया।
यह पुस्तक अपने अंदर पवित्र क़ुरआन की वास्तविकता और आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की सच्चाई के तर्क एकत्र रखती है।
वर्ष 1889 ई० में आप अलैहिस्सलाम को एक और इल्हाम हुआ:
“उसने इस सिलसिले को स्थापित करते समय मुझे फ़रमाया कि ज़मीन में गुमराही का तूफ़ान बरपा है तू इस तूफ़ान के समय में यह नाव तैयार कर। जो व्यक्ति इस नाव में सवार होगा वह डूबने से मुक्ति पाएगा और जो इंकार में रहेगा उस के लिए मृत्यु निश्चित है। निस्संदेह जो लोग तुम से बैअत (निष्ठा की प्रतिज्ञा) करते हैं वह अल्लाह की बैअत करते हैं। अल्लाह का हाथ उनके हाथ पर है।” (सब्ज़ इश्तेहार 1 दिसंबर 1888 ई० पृष्ठ 24)
इस इल्हाम के बाद हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम ने एक सामान्य घोषणा प्रकाशित की:
“मुझे आदेश दिया गया है कि जो लोग सत्याभिलाषी हैं वे सच्चा ईमान और सच्ची ईमानी ज़िन्दगी और ख़ुदा के मार्ग का प्रेम सीखने के लिए और दुष्टप्रवृति और आलस्य और ग़द्दाराना जीवन छोड़ने के लिए मुझ से बैअत करें।”
“मुझे आदेश दिया गया है कि जो लोग सत्याभिलाषी हैं वे सच्चा ईमान और सच्ची ईमानी ज़िन्दगी और ख़ुदा के मार्ग का प्रेम सीखने के लिए और दुष्टप्रवृति और आलस्य और ग़द्दाराना जीवन छोड़ने के लिए मुझ से बैअत करें।”
आरंभिक बैअत की आवाज़ पर उन लोगों ने तुरंत उत्तर दिया जिन्होंने पहले ही यह मान लिया था कि हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद वास्तविक रूप से वादा किए गए मसीह थे और स्वयंख़ुदा तआला ने आप को निर्धारित किया था।
बैअत का प्रथम आयोजन 23 मार्च 1889 ई० को लुधियाना में हुआ जिसमें अहमदिया मुस्लिम जमाअत की स्थापना की गई। हज़रत मौलवी नूरुद्दीनरज़ि॰ प्रथम व्यक्ति बने जिन्होंने आपके हाथ पर बैअत की।
1890 ई० के अंत तक हज़रत मिर्ज़ा गुलाम अहमद साहब को निरंतर इल्हाम हुए कि हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम नासरा, जिनके पुनःआगमन के मुसलमान और ईसाई दोनों क़ायल हैं वह एक प्राकृतिक मौत मर चुके हैं और यह कि उन के पुनःआगमन का अर्थ यह था कि एक व्यक्ति हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की विशेषताओं में प्रकट होगा और यह कि वह स्वयं ही मौऊद मसीह अलैहिस्सलाम हैं।
80 से अधिक पुस्तकें और दस हज़ार पत्र लिखने के बाद, सैंकड़ों लेक्चर देने और असंख्य शास्त्रार्थों में व्यस्त होने के बाद मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम 26 मई 1908 ई० को मृत्यु को प्राप्त हो गए। फिर भी अहमदिया मुस्लिम जमाअत के संस्थापक के रूप में उन की विरासत निरंतर चल रही है। आज समस्त संसार में वह एक ऐसा अस्तित्व है जिसने अपने जीवन की प्रत्येक सांस के साथ अपने प्रिय स्वामी नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के अनुसरण से अथाह प्रेम का प्रदर्शन किया है।
ख़ुदा तआला की ओर से हज़रत मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम के समर्थन में दिखाए जाने वाले वे आकाशीय निशान जिन का वादा किया गया था अत्यंत वर्णन योग्य हैं जिन में से अधिकतर ख़ुदाई निशान हैं। हज़रत मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम को 1876 ई० में वह्यी (ईशवाणी) का सिलसिला आरंभ हुआ और समय के साथ-साथ यह श्रेणीबद्ध रूप से बढ़ता चला गया। उनकी समस्त वह्यी अपने समय के अनुसार पूर्ण होती गईं जिस में से कुछ आपके जीवन में पूर्ण हुईं और आज भी पूर्ण होती चली जा रही हैं।
अल्लाह तआला आप अलैहिस्सलाम को समस्त कठिनाइयों और विरोध के बावजूद प्रगति पर प्रगति देता चला जा रहा है। आप अलैहिस्सलाम के मानने वालों के बारे में दुआ की स्वीकार्यता के असंख्य निशान प्रदर्शित हुए। उन में से बहुत से ऐसे निशान हैं जिन में बहुत से ऐसे लोग सम्मिलित हैं जो मौत की बीमारी से ग्रसित थे और लाइलाज थे लेकिन आप अलैहिस्सलाम की दुआओं के कारण स्वथ्य हुए। इसी प्रकार अल्लाह तआला ने कुछ क़ुदरती निशान जो आपदाओं का रूप रखती हैं वे भी प्रदर्शित किए।
आप ने फ़रमाया कि यह समस्त निशान केवल और केवल अपने आक़ा और स्वामी हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की बरकतें हैं और आप हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के वह तुच्छ सेवक हैं जिसका मिशन हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के प्रताप को दुनिया में प्रदर्शित करना था।
हज़रत मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम के द्वारा प्रकाशित होने वाली सैंकड़ों निशानियां और भविष्यवाणियाँ थीं जिनको पूरा किया गया। हज़रत मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम ने ख़ुदा तआला के अस्तित्व का ताज़ा और जीवित प्रमाण दिया और नवीन युग के काफ़िरों और नास्तिकों को ललकारा।
युगावतार हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद साहब मसीह मौऊद व महदी अलैहिस्सलाम का मूल दावा यह था कि उन्हें अल्लाह ने इस युग का सार्वभौमिक सुधारक निर्धारित किया था। वास्तव में वर्तमान युग जिसको विभिन्न धर्मों के ग्रंथों में अंतिम युग कहा जाता है, वह युग है जिसके बारे में बहुत सारे धर्मों में यह भविष्यवाणी की गई है कि इस युग में समस्त मनुष्यों और मानवता की अंतिम एकता के लिए एक सार्वभौमिक सुधारक आएगा। उदाहरण स्वरूप हिंदू उसे कृष्ण का अवतार कहते हैं। यहूदी एक मसीहा के प्रतीक्षक हैं जो अभी आना शेष है।
हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम ने भविष्यवाणी की कि वह स्वयं पुनः उपस्थित होंगे और आंहज़रत सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने भविष्यवाणी की है कि अंतिम युग में एक मुस्लेह और महदी प्रदर्शित होगा।
मूल प्रश्न यह है कि क्या समस्त सुधारक जिनके बारे में विभिन्न भविष्यवाणियाँ मौजूद हैं वे भिन्न-भिन्न समय में प्रकट होंगे या फिर कोई एक सुधारक होगा जो भिन्न-भिन्न नामों और विशेषताओं से विशिष्ट हो कर सबके प्रतिनिधित्व में प्रकट होगा और यदि सुधारक के प्रकटन के बारे में समस्त भिन्न-भिन्न भविष्यवाणियाँ सच्ची हैं तो फिर क्या सबने अलग-अलग नाम से प्रकट होना है? तो फिर इस परिस्थिति में ख़ुदा के नाम पर एक धार्मिक झगड़ा न होगा? केवल इसके कि जमाअत अहमदिया का दृष्टिकोण स्वीकार किया जाए और दूसरा कोई हल नहीं। और जमाअत अहमदिया का दृष्टिकोण यह है कि आने वाले सुधारक वास्तव में विभिन्न नामों और विशेषताओं से विशिष्ट हो कर एक सुधारक प्रकट हुआ है वह सय्यदना हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद साहब क़ादियानी मसीह मौऊद व महदी मसऊद अलैहिस्सलाम हैं
इसी अवस्था में ही धर्म की एकता का आरंभ होगा। अहमदिया जमाअत के संस्थापक के दावों के अनुसार इस सुधारक को एक मुसलमान पैदा होना था जिसको पवित्र क़ुरआन और सुन्नत का अनुकरणीय होना था। हज़रत मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं:-
ईसाइयों का विचार है कि वह समय निकट आ रहा है जब ज़मीन की समस्त क़ौमें हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को ख़ुदा मानने की आस्था को स्वीकार करेंगी। यहूदियों को इस आशा की ख़ुशी है कि उनका मसीहा शीघ्र ही उपस्थित हो जाएगा और उन्हें संपूर्ण ज़मीन का वारिस बना देगा और लोगों को यहूदी आस्था में सम्मिलित करेगा। इस्लामी भविष्यवाणियों से एक मसीहा के आने की उम्मीद भी मिलती है जो इस्लाम को दुनिया का सबसे बड़ा और अंतर्राष्ट्रीय धर्म बना देगा।
मसीह के आगमन का वचन 14वीं शताब्दी के आरंभ से कहीं अधिक नहीं है अर्थात 14वीं शताब्दी में आप का आना बताया गया है। इसी प्रकार इसी युग में सनातन धर्म के पंडित किसी अवतार के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे हैं जो सारी दुनिया में वास्तविक आस्था को फैलाएगा……….
सरांश यह कि धर्मों का मुक़ाबला बहुत तेज़ हो गया है और प्रत्येक धर्म इसके साथ प्रभावित हुआ है। धार्मिक दुनिया में इस हंगामे से कहीं अधिक हंगामा बरपा है जो तूफ़ान के रूप में समुद्र में होता है और जैसे-जैसे आपदाएं एक दूसरे पर बढ़ रही हैं उपरोक्त लिखित विभिन्न तहरीकें कम से कम इस परिणाम पर पहुंच रही हैं कि वह समय आ गया है जब अल्लाह तआला ने समस्त पुरुषों को एक जोड़ कर एकत्र करने का इरादा किया है। उसी समय के बारे में वह पवित्र क़ुरआन में आदेश देता है:
“और उस दिन हम उनमें से कुछ को दूसरों पर चढ़ जाने के लिए छोड़ देंगे और बिगुल फूंका जाएगा। फिर हम उन सब को एकत्र करेंगे। (v.100 : ch.18)” (रिव्यु ऑफ़ रिलिजन)
इसके अतिरिक्त सुधारक को वही व्यक्ति बनना था जो “अलमहदी” और “मसीहा” दोनों का अधिकारी था। जमाअत अहमदिया के संस्थापक के अनुसार उन्होंने इन समस्त सुधारकों का भी प्रतिनिधित्व करना था जिनके बारे में भूतकाल में दूसरे धर्मों में भविष्यवाणियां की गईं थीं कि वह समस्त इंसानों के सुधार के लिए प्रकट होगा।
हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद ने अपने आने के सन्दर्भ से विश्वव्यापी धर्मों में पाए जाने वाली विभिन्न भविष्यवाणियों की पूर्णता का दावा किया। उन्होंने कभी भी वही शारीरिक रूप से ईसा होने का दावा नहीं किया जो उन्नीस शताब्दियों पहले आया था।
हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद साहब क़ादियानी ने दावा किया कि हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की स्वाभाविक मृत्यु, यसू का स्वर्ग में शारीरिक रूप से चढ़ जाना और ईसा को सलीब दिए जाने की रिवायतें ईसाई आस्था के प्रमाणित कथन के विरुद्ध है। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार हज़रत ईसा मूसा के बाद चौदहवीं शताब्दी में प्रकट हुए थे उसी प्रकार महदी को भी मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के बाद चौदहवीं शताब्दी में प्रकट होना था।
हज़रत मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम ने हथियारबंद जिहाद के दृष्टिकोण को अस्वीकृत किया और तर्क दिया कि ऐसे जिहाद की परिस्थिति इस युग में मौजूद नहीं है अब क़लम और ज़बान से इस्लाम की रक्षा की ज़रूरत है न कि तलवार से। उन्होंने कहा:
“यह मेरा दावा है। ऐसा ही मेरा दावा है लेकिन वह कार्य जिसके लिए अल्लाह तआला ने मुझे वादा दिया है मसीहा के रूप में मेरा कार्य यह है कि मुझे ख़ुदा और मनुष्य के मध्य उत्पन्न होने वाली अजनबियत को दूर करना है, और अपने ख़ुदा के साथ मनुष्य को पवित्रता का मार्ग बताना है और प्रेम का संबंध दोबारा स्थापित करना है। मुझे भेजा गया है कि मुझे धार्मिक जंगों को रोकना है और लोगों के मध्य शांति, एकता और पारस्परिक सहिष्णुता की बुनियाद रखनी है। अर्थात मैं उन धार्मिक सच्चाइयों को जनसमान्य पर प्रदर्शित करूं जो लोग बरसों से भूल चुके हैं, ताकि मैं उसके मुख के समक्ष भावनाओं के अंधेरों को मिटा कर वास्तविक आध्यात्मिकता का प्रदर्शन करूं, ताकि मैं दुआ के द्वारा मनुष्य के अन्दर ध्यानपूर्वक ख़ुदाई शक्तियों के कार्य को प्रदर्शित करूं, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मुझे ख़ुदा के पवित्र अस्तित्व और महानता और ख़ुदाई को पुनः स्थापित करना है जो शिर्क (अनेकेश्वरवादी) के प्रत्येक मिश्रण से पवित्र है और जो ज़मीन से मिट गया है। यह सब मेरी शक्ति से नहीं अपितु उसकी शक्तिशाली ताक़त से होगा जिसका धरती और आकाश में शासन है। मैं देखता हूँ कि एक ओर अल्लाह तआला ने मुझे अपने ज्ञान का प्रशिक्षण दिया है और मुझे अपनी वह्यी का प्राप्त करने वाला बना कर मुझे सुधार करने का उत्साह प्रदान किया है और दूसरी ओर उसने स्वयं भी मेरी बातों को स्वीकार करने के लिए दिल तैयार किए हैं । (रिव्यु ऑफ़ रिलिजन नंबर 9 वॉल्यूम 3)”
सारांश यह कि इस प्रकार की समस्त भविष्यवाणियों की जमाअत अहमदिया के निकट यह व्याख्या है कि समस्त सुधारक पृथक-पृथक प्रकट होने और विभिन्न मार्गों की ओर बुलाने के बजाए केवल एक ही व्यक्ति सुधारक के रूप में प्रकट होगा।
अलहम्दोलिल्लाह आकाशीय सहायताओं और आप को प्राप्त दुनयावी ज्ञान से आपने ख़ुदा तआला के अस्तित्व और उसकी समस्त अज़ली (अनादी) अबदी (सार्वकालिक) विशेषताएं उस समय सिद्ध कीं जबकि इस्लाम चारों ओर से हमलों का शिकार था। अल्लाह तआला की कृपा से देखते ही देखते आप की प्रसिद्धि धार्मिक दुनिया में तीव्रता से फैलती गई। आपने विभिन्न पुस्तकें लिखीं विशेष रूप से अरबी पुस्तकें अरब में इतनी अधिकता से लोकप्रिय हुईं कि अरब दुनिया आप से मिलने के लिए क़ादियान पहुंची और अहमदियत में सम्मिलित होने लगी और पश्चिमी दुनिया में अलेग्ज़ेन्डर डोई की भविष्यवाणी के पूरा होने ने एक तहलका मचा दिया। आप के प्रयासों के परिणामस्वरूप आप के जीवन में ही अहमदियत हिंदुस्तान से निकल कर दूसरे देशों में फैलती चली गई।
परिणामस्वरूप सत्याभिलाषी आप से मिलने आने के साथ-साथ अहमदियत में सम्मिलित होते चले गए यहाँ तक कि हिंदुस्तान के कोने-कोने में आप का संदेश पहुँच गया और आपकी पुस्तकें और पत्रिकाएँ अधिकता से दुनिया में फैलाए गए जिस कारणवश बहुत लोगों को अहमदियत अर्थात वास्तविक इस्लाम स्वीकार करने का सामर्थ्य प्राप्त हुआ।
आप के स्वर्गवास के बाद जमाअत अहमदिया अल्लाह तआला की कृपा से खिलाफ़त-ए-अहमदियत की छात्र-छाया में दिन-प्रतिदिन प्रगति के मार्गों पर चलती चली गई और दुनिया भर में विभिन्न मस्जिदों और मिशन हाउसेस की स्थापना से तबलीगी और तरबियती कार्य पूर्ण होने लगे और अलहम्दोलिल्लाह अल्लाह तआला की कृपा से आज अंतर्राष्ट्रीय अहमदिया जमाअत दुनिया के प्रत्येक भाग में 213 देशों में फैल चुकी है। प्रत्येक वर्ष पिछले साल के मुक़ाबले पर लाखों सदात्माएं जमाअत में सम्मिलित हो रही हैं और दिन दोगुनी और रात चौगुनी प्रगति के नए लक्ष्य पूर्ण करती चली जा रही है।
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