अनसार अली ख़ान
MAY 27, 2021
दोस्तों ! अल्लाह ताला पवित्र क़ुरआन में वर्णन करता है :- तुम में से जो लोग ईमान लाए और पुण्य कर्म किए हैं उनसे अल्लाह ने पक्का वादा किया है कि उन्हें अवश्य धरती में खलीफा बनाएगा । जैसा कि उसने उनसे पहले लोगों को ख़लीफ़ा बनाया और उनके लिए उनके धर्म को जो उसने उनके लिए पसंद किया अवश्य दृढ़ता प्रदान करेगा । और उनकी भयपूर्ण अवस्था के बाद अवश्य उन्हें शांतिपूर्ण अवस्था में परिवर्तित कर देगा। वह मेरी उपासना करेंगे मेरे साथ किसी को साझीदार नहीं ठहराएंगे। और जो उसके बाद भी कृतज्ञता करें तो यही वह लोग हैं जो अवज्ञा कारी हैं। (सूरह नूर आयत ५६)
इस आयत को आयते इस्तिख़्लाफ़ कहा जाता है जिसमें यह बात प्रकट की गई है कि जिस प्रकार अल्लाह ने पहले नबियों के पश्चात ख़िलाफ़त का क्रम जारी किया था उसी प्रकार हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पश्चात भी जारी करेगा। और वह ख़िलाफ़त नबी के प्रकाश को लेकर आगे बढ़ेगी और हर बार जब कोई ख़लीफ़ा मृत्यु को प्राप्त होगा तो जमाअत को एक भय का सामना करना पड़ेगा । जो अल्लाह ताला की कृपा के साथ ख़िलाफ़त के आशिर्वाद से शांति में परिवर्तित हो जाएगा । अतः सच्ची ख़िलाफ़त की निशानी यह है कि वह मोमिनों की जमाअत को अशांति से शांति की ओर लेकर आएगी । हज़रत मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम ने अपनी पुस्तक “अल-वसीयत” में यही कहा है कि “एक नबी या ख़लीफ़ा के गुज़रने के पश्चात उस समय यही प्रतीत होता है कि अब शत्रु उस प्रकाश को बुझा देगा परंतु आयते इस्तिख़्लाफ़ में स्पष्ट वादा है कि शत्रु हर बार असफल रहेगा। नुबुव्वत के आने का उद्देश्य संसार में एकेश्वरवाद की स्थापना करना है । अतः सच्ची ख़िलाफ़त की भी यही निशानी रखी है कि उसका अंतिम उद्देश्य एकेश्वरवाद की स्थापना करना होगा।
ख़िलाफ़त के आशीर्वाद में सबसे महत्वपूर्ण आशीर्वाद, जिसका आयत इस्तिख़्लाफ़ में सबसे पहले अल्लाह ताला ने उल्लेख किया है, इस्लाम धर्म को दृढ़ता देना है। हज़रत मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम के माध्यम से अल्लाह ताला ने तजदीदे दीन के काम की नींव रखी, ख़िलाफ़ते अहमदिया के आशीर्वाद से उस नींव पर सफलताओं और उपलब्धियों के इतिहास लिखे जा चुके हैं।
अल्लाह ताला की कृपा तथा ख़िलाफ़त के आशीर्वाद से, दुनिया भर में हज़ारों की संख्या में मस्जिदें बनवाई गई,और यह पवित्र कार्य अभी भी प्रगति पर है।
पवित्र क़ुरआन का ७५ भाषाओं में अनुवाद हो चुका है और अधिक भाषाओं में अनुवाद का कार्य प्रगति पर है। सत्य-शांति की प्रचार-प्रसार के लिए हज़ारों मिशन हाउसेज़ का निर्माण हो चुका है और जिसकी संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही है। समाज में प्रेम,शांति,मानवता तथा एकेश्वरवाद के प्रचार-प्रसार के लिए हज़ारों प्रचारक तथा नि:शुल्क सेवाएं देने वाले ग़रीब अनाथ तथा असहायों की सेवा में कार्यरत हैं। करोड़ों की संख्या में किताबें, लिटरेचर तथा लीफ़लैट छप रहे हैं। ख़िलाफ़त ही की छत्रछाया में संसार के २१६ से अधिक देशों में अहमदिया मुस्लिम जमाअत की नींव रखी जा चुकी हैं। ख़िलाफत ही के आशिर्वाद से “ख़िदमते ख़ल्क़” के अंतर्गत करोड़ों मनुष्यों की भोजन की आवश्यकताओं की पूर्ति हो रही है।
लाखों छात्रों को शिक्षा की दौलत से माला-माल किया जा रहा है। ख़िदमते ख़ल्क़ के अंतर्गत लाखों रोगियों का निःशुल्क उपचार का काम जारी है। एम.टी.ए (टीवी चैनल) के माध्यम से अतीत और वर्तमान की तारीख़ में इस्लाम की सत्यता और जिहाद की वास्तविकता के संदर्भ में अद्वितीय काम हुए हैं।
यह सब ख़िलाफ़त का आशीर्वाद है, और ख़िलाफ़त के इस छायादार वृक्ष के नीचे करोड़ों श्रद्धालु शांति-समृद्धि का जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
सारांश यह है कि ख़िलाफ़त एकता और अखंडता का साधन है। ख़लीफ़ा एक आध्यात्मिक वजूद है उन्हें आध्यात्मिक शक्ति हासिल है जिसके माध्यम से वह इंसानों के दुखों का निवारण भी करते हैं । समाज में एकेश्वरवाद की स्थापना ख़िलाफ़त का सबसे बड़ा आशीर्वाद है। एक व्यक्ति के लिए ईश्वर के साथ संबंध स्थापित करने का सबसे अच्छा माध्यम ख़िलाफ़त का अनुसरण है। सभी प्रकार की परिस्थितियों में सही मार्गदर्शन का माध्यम भी ख़िलाफत ही है। यदि कोई अभागा ख़िलाफ़त को कलंकित करने का प्रयास करता है तो हज़रत मुहम्मद रसूलुल्लाह स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि ऐसे व्यक्ति से कोई संबंध न रखो।
हज़रत मुहम्मद साहब के एक अनुयाई हज़रत अरफ़ाज़ा: (रज़ी) रिवायत करते हैं कि मैंने हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को यह कहते हुए सुना है कि :- जब आप एक तरफ़ इकट्ठे होते हैं और आप में से एक अमीर (लीडर) होता है और फ़िर कोई आता है और आपकी एकता को तोड़ना चाहता है तो ऐसे इंसान से सारा संपर्क विछिन्न करो और उसकी बात न मानो। (मुस्लिम)
ख़िलाफ़त का आज्ञा पालन के संदर्भ में नबी ए पाक स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कहते हैं:- ऐ मुसलमानों ! तुम पर मेरे और मेरे ख़ोलफ़ा की सुन्नत की पैरवी करना अनिवार्य है, ख़लीफा ख़ुदा ताला की तरफ़ से निर्देशित होगा और उस मार्गदर्शन के प्रकाश में वे ईमान वालों के मार्गदर्शक होंगे (तिर्मिज़ी)
हज़रत मिर्ज़ा बशीरुद्दीन महमूद अहमद ख़लीफ़ातुल मसीह सानी (रज़ी) कहते हैं: – ख़लीफा एक शिक्षक है और जमाअत का हर व्यक्ति शिष्य है। ख़लीफा के मुंह से जो भी शब्द निकले उन्हें अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए बल्कि उस पर कार्यरत होना चाहिए। (अल-फ़ज़ल क़ादियान, २ मार्च १९४६)
आप पुनः वर्णन करते हैं कि :- तुम सब इमाम के इशारे पर चलते रहो और उसकी हिदायत से ज़र्रा सा भी न हिलना। जब वह तुम्हें बढ़ने की आज्ञा दे तब बढ़ो फिर जब वह तुम्हें रूकने की आज्ञा दे तब रूक जाओ,और जिस ओर तुम्हें बढ़ने की आज्ञा दे उधर बढ़ो और जिस ओर से हटने का आदेश दे उधर से हट जाओ।
आज ख़ुदा ताला की अपार कृपा तथा ख़िलाफ़त ही के आशिर्वाद से अहमदिया मुस्लिम जमाअत दिन प्रतिदिन प्रगति की राह पर अग्रसर है।
लेखक अहमदिया मुस्लिम जमात सोलापुर के मिशनरी हैं
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