श्री कृष्ण जी महाराज हिन्द के अवतार: इस्लामी शिक्षा के दर्पण में

राजा श्री कृष्ण जी महाराज वास्तव में एक ऐसे पूर्ण व्यक्ति थे जिनका उदाहरण हिंदुओं के किसी ऋषि और अवतार में नहीं पाया जाता। वह अपने समय केअवतार अर्थात नबी थे जिन पर ख़ुदा की ओर से रूहुल क़ुदुस (पवित्र  आत्मा) उतरती थी। वह ख़ुदा की ओर से विजय प्राप्त और भाग्यशाली थे।

श्री कृष्ण जी महाराज हिन्द के अवतार: इस्लामी शिक्षा के दर्पण में


श्री कृष्ण जी महाराज वास्तव में एक ऐसे पूर्ण व्यक्ति थे जिनका उदाहरण हिंदुओं के किसी ऋषि और अवतार में नहीं पाया जाता। वह अपने समय के अवतार अर्थात नबी थे जिन पर ख़ुदा की ओर से रूहुल क़ुदुस (पवित्र  आत्मा) उतरती थी। वह ख़ुदा की ओर से विजय प्राप्त और भाग्यशाली थे।


शाह हारून सैफी

29 अगस्त 2021

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।

धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।

जब-जब इस धरती पर धर्म की हानि होती है, विनाश का कार्य होता और अधर्म बढ़ता है, तब-तब मैं इस धरती पर आता हूँ और अवतार लेता हूँ। सज्जनों को बचाने के लिए और दुष्टों के संहार के लिए और धर्म की पुनः स्थापना के लिए मैं हर युग में अवतार धरण करता हूँ।[1]

प्रिय पाठको! जब जब संसार में झूठ, छल-कपट, अन्याय और अत्याचार का बोल बाला होता है सर्वशक्तिमान ईश्वर अपने प्रिय भक्तों के मार्गदर्शन और धर्म सत्यता और न्याय को स्थापित करने के लिए अपने नबियों और अवतारों को प्रकट करता है। हज़रत रामचंद्र जी, हज़रत मूसा, हज़रत ईसा और मुहम्मदस.अ.व. ऐसे ही अल्लाह तआला के नबी और अवतार थे जिन्हें अल्लाह तआला ने समय समय पर विभिन्न देशो और विभिन्न क़ौमो में मानवजाति के उद्धार और मार्गदर्शन के लिए प्रकट किया। अतः अल्लाह तआला पवित्र क़ुरआन में फरमाता है:

وَلَقَدْ بَعَثْنَا فِي كُلِّ أُمَّةٍ رَسُولًا

और निश्चित रूप से हमने प्रत्येक क़ौम में एक रसूल भेजा है।[2]

इसी प्रकार फ़रमाया:

وَرُسُلًا قَدْ قَصَصْنَاهُمْ عَلَيْكَ مِنْ قَبْلُ وَرُسُلًا لَمْ نَقْصُصْهُمْ عَلَيْكَ

और कई रसूल हैं ऐसे जिनका वर्णन हम तेरे समक्ष पहले ही कर चुके हैं और कई रसूल ऐसे हैं जिनके वृतांत हमने तेरे समक्ष वर्णन नहीं किए।[3]

इन्हीं नबियों और अवतारों में हिन्द के महान अवतार श्री कृष्ण जी महाराज हैं जो सदैव धर्म के मार्ग पर अडिग रहे और जिनके जीवन का एक एक क्षण अधर्म के विरुद्ध और धर्म, सत्यता और न्याय की स्थापना में व्यतीत हुआ और जिनका वर्णन हिन्द के एक नबी और अवतार के रूप में इस्लामी शिक्षा और इतिहास में जगह-जगह मिलता है।

अतः हज़रत मुहम्मदस.अ.व. ने फ़रमाया

کان فی الھند نبیّاً اسود اللون اسمہ کاھناً

अर्थात हिन्दुस्तान में साँवले रंग के एक नबी गुज़रे हैं जिनका नाम काहिन (कनहिय्या) था।[4]

इसी प्रकार हज़रत अलीर.अ. वर्णन फरमाते हैं।

ان اللہ تعالیٰ بعث نبیّاً اسودا فھو من لم یقصص علیہ

निःसन्देह अल्लाह तआला ने एक साँवले रंग के नबी को भेजा है और वह उन नबियों में से हैं जिनका उल्लेख अल्लाह तआला ने पवित्र क़ुरआन में नहीं फ़रमाया।[5]

उपरोक्त दोनों हदीसों और हिन्दु धार्मिक ग्रन्थों के अध्ययन से ऐसा प्रतीत होता है कि हज़रत कृष्ण जी महाराज अपने साँवले रंग के कारण प्रसिद्ध थे यही कारण है कि इस्लामी साहित्य एवं इतिहास में आपका उल्लेख साँवले नबी के रूप में भी मिलता है।

प्रसिद्ध इतिहासकार अकबर शाह नजीबाबादी मानवता के कल्याण और मार्गदर्शन के लिए दुनियाँ के विभिन्न क्षेत्रों और समुदाय में प्रकट होने वाले नबियों का वर्णन करते हुए लिखते हैं:

कृष्ण जी, रामचन्द्र जी, गौतम बुद्ध और गुरुनानक हिन्दुस्तान में हुए, कैफबाद ज़र्तिशत ईरान में गुज़रे, कन्फूशिस चीन में, हज़रत लुक़मान यूनान में, हज़रत यूसुफ मिस्र में, हज़रत लूत शाम और फिलिस्तीन में थे।[6]

इसी प्रकार देवबन्द दारुल उलूम के संस्थापक हज़रत मौलाना क़ासिम नानौतवीर.ह फरमाते हैं:

इसमें क्या आश्चर्य है कि जिसको हिन्दु साहिबान अवतार कहते हैं अपने समय के नबी या वली या नबी के उत्तराधिकारी हों। क़ुरआन शरीफ़ में भी वर्णन है:

رُسُلًا قَدْ قَصَصْنَاهُمْ عَلَيْكَ مِنْ قَبْلُ وَرُسُلًا لَمْ نَقْصُصْهُمْ عَلَيْكَ

अर्थात और कई रसूल हैं जिनका वर्णन हम तेरे समक्ष पहले ही कर चुके हैं और कई रसूल हैं जिनके वृतांत हमने तेरे समक्ष वर्णन नहीं किए।(सूरः निसा 165)

अतः इसमें क्या आश्चर्य है कि हिन्दुस्तान के नबी भी उन्हीं नबियों में से हों जिनका वर्णन आप स.अ.व. से नहीं किया गया।[7]

वर्तमानकाल के सूफ़ी लोगों में हज़रत ख्वाजा हसन निज़ामी साहिब का एक उच्च स्थान है। आपने एक पुस्तक “कृष्ण बीती” लिखी और हज़रत कृष्ण जी महाराज का नबी होना स्वीकार किया अतः आप लिखते हैं:

श्री कृष्ण भी हिन्दुस्तान के मार्गदर्शक थे उन को भी एक बड़ी और उच्च क़ौम के मार्गदर्शन हेतु प्रकट किया गया था।[8]

इसी प्रकार लिखते हैं:

श्री कृष्ण जी वास्तव में अल्लाह तआला की ओर से अत्याचारियों की तबाही और बर्बादी के लिए प्रकट हुए थे।[9]

जैसा कि उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट है कि हज़रत कृष्ण जी महाराज भी अल्लाह तआला के एक महान नबी थे और इस्लामी शिक्षा لَا نُفَرِّقُ بَیۡنَ اَحَدٍ مِّنۡ رُّسُلِہٖ (सूरः बक़रह: 286) अर्थात हम उस (अल्लाह) के रसूलों के बीच प्रभेद नहीं करेंगे, के अनुसार हज़रत कृष्ण जी महाराज पर आस्था रखना भी उसी प्रकार अनिवार्य है जिस प्रकार मुहम्मदस.अ.व. और दूसरे नबियों और अवतारों पर।

हज़रत कृष्ण जी का उच्च स्थान

प्रिय पाठको! जैसा कि वर्णन हो चुका है कि जब जब धरती पर अन्याय और अधर्म और अत्यचार का बोल बाला होता है तब तब अल्लाह तआला अपने भक्तों के मार्गदर्शन के लिए अपने नबियों और अवतारों को प्रकट करता है। अतः इस कलयुग में भी जब्कि चारो ओर अन्धकार ही अन्धकार है और छल कपट और मोह माया का राज है अल्लाह तआला ने अहमदिय्या मुस्लिम जमाअत के संस्थापक हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद क़ादियानीअ.स. को मानवजाति के मार्गदर्शन एवं धर्म और न्याय की स्थापना के लिए भेजा। आपने अल्लाह तआला से सूचना प्राप्त करके हज़रत कृष्ण जी महाराज के बारे में यह घोषणा की कि:

स्पष्ट रहे कि ख़ुदा तआला ने कश्फ़ (अर्थात तंद्रावस्था) में कई बार मुझे इस बात की सूचना दी है कि आर्य क़ौम में कृष्ण नाम का एक व्यक्ति जो गुज़रा है वह ख़ुदा के प्रतिष्ठित और अपने समय के नबियों में से था और हिंदुओं में अवतार का शब्द वास्तव में नबी के ही अर्थ में है।[10]

एक और स्थान पर हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद क़ादियानीअ.स. हज़रत कृष्ण जी की महानता और उच्च स्थान का वर्णन करते हुए फरमाते हैं:

अब स्पष्ट हो कि राजा कृष्ण, जैसा कि मुझ पर प्रकट किया गया है वास्तव में एक ऐसा पूर्ण व्यक्ति था जिसका उदाहरण हिंदुओं के किसी ऋषि और अवतार में नहीं पाया जाता। और अपने समय का अवतार अर्थात नबी था जिस पर ख़ुदा की ओर से रूहुल क़ुदुस (पवित्र  आत्मा) उतरती थी। वह ख़ुदा की ओर से विजय प्राप्त और भाग्यशाली था। आर्यवर्त की धरती को पाप से साफ़ किया। वह अपने युग का नबी था जिसकी शिक्षा को बाद में बहुत सी बातों में बिगाड़ दिया गया। वह ख़ुदा के प्रेम से परिपूर्ण था और नेकी से दोस्ती और बुराई से दुश्मनी रखता था। ख़ुदा का वादा था कि अंतिम युग में उसके समरूप अर्थात अवतार पैदा करे।[11]

इसी प्रकार फ़रमाया

यह भी स्मरण रहे कि मेरा यह धर्म नहीं है कि इस्लाम के अतिरिक्त समस्त धर्म झूठे हैं। मैं यह विश्वास रखता हूँ कि वह ख़ुदा जो सृष्टि का ख़ुदा है वह सब पर नज़र रखता है। यह नहीं होता कि वह एक ही क़ौम की परवाह करे और दूसरों पर नज़र न डाले। हाँ यह सच है कि बादशाह के सफर की तरह कभी किसी क़ौम पर वह समय आ जाता है और कभी किसी अन्य क़ौम पर। मैं किसी के लिए नहीं कहता। ख़ुदा तआला ने मुझ इस प्रकार ही प्रकट किया है कि राजा रामचंद्र और कृष्ण जी आदि भी ख़ुदा के सच्चे बंदे थे और उससे सच्चा सम्बंध रखते थे। मैं उस व्यक्ति से विमुख हूँ जो उनकी निंदा या अपमान करता है उसका उदाहरण कुएं के मेंढ़क के भांति है जो समुद्र की विशालता से अवगत नहीं है। जहां तक उन लोगों की सही जीवनियाँ ज्ञात होती हैं, उनमें पाया जाता है कि, उन लोगों ने ख़ुदा तआला के मार्ग में तपस्याएं कीं और प्रयत्न किया कि उस मार्ग को पाएं जो ख़ुदा तआला तक पहुंचने का वास्तविक मार्ग है। अतः जिस व्यक्ति का यह धर्म हो कि वे सच्चे न थे वह क़ुर्आन शरीफ़ के विरुद्ध कहता है क्योंकि इसमें फ़रमाया है:

وَ اِنۡ مِّنۡ اُمَّۃٍ اِلَّا خَلَا فِیۡہَا نَذِیۡرٌ 

कोई ऐसी क़ौम नहीं जिसमें ख़ुदा तआला का कोई अवतार न आया हो। (सूरह फ़ातिर : 25)[12]

एक और स्थान पर फ़रमाया

और हम लोग दूसरी क़ौमों के अवतारों के सम्बंध में कदापि ग़लत शब्दों का प्रयोग नहीं करते। बल्कि हम यही विश्वास रखते हैं कि संसार में विभिन्न क़ौमों के लिए जितने अवतार आए हैं और करोड़ों लोगों ने उनको मान लिया है और संसार के किसी भाग में उनका प्रेम और प्रतिष्ठा उत्पन्न हो गई है और एक लंबा समय उस प्रेम और विश्वास पर व्यतीत हो गया है तो बस यही एक प्रमाण उनकी सच्चाई के लिए पर्याप्त है। क्योंकि यदि वे ख़ुदा की ओर से न होते तो यह मान्यता करोड़ों लोगों के हृदय तक नहीं फैलती ख़ुदा अपने मान्य पुरुषों का सम्मान दूसरों को कदापि नहीं देता और यदि कोई झूठा उनकी कुर्सी पर बैठना चाहे तो शीघ्र तबाह हो जाता है और नष्ट किया जाता है।[13]

अन्त में हम दुआ करते हैं कि अल्लाह तआला हम सब को समस्त नबियों और अवतारों का सम्मान करने और उनके द्वारा दिखाए गए ईश्वरीय मार्ग में का अनुसरण करने का सामर्थ्य प्रदान करे। आमीन


लेखक जामिआ अहमदिया – अहमदिया धार्मिक संस्थान – से स्नातक हैं और उत्तर प्रदेश में प्रचारक के रूप में कार्यरत हैं।


सन्दर्भ

[1] श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 4, श्लोक 7-8

[2] पवित्र क़ुरआन सूरः नहल: 37

[3] पवित्र क़ुरआन सूरः निसा 165

[4] तारीख़-ए-हमदान देलिमी बाब-काफ

[5] तफ़्सीर-ए-कश्शाफ़, जिल्द 24 पृष्ठ 962

[6] प्राक्कथन तारीख़-ए-इस्लाम जिल्द 1

[7] मुबाहिसा शाहजहाँपुर पृष्ठ 31

[8] कृष्ण बीती पृष्ठ 39

[9] कृष्ण बीती पृष्ठ :91

[10] हाशिया दर हाशिया तुहफ़ा गोलड़विया, रूहानी ख़ज़ायन भाग 17, पृष्ठ 317

[11] लेक्चर सियालकोट, रूहानी ख़ज़ायन भाग 20 पृष्ठ 228

[12] मलफ़ूज़ात भाग 4 पृष्ठ 163

[13] पैग़ाम-ए-सुलह, रूहानी ख़ज़ायन भाग 23 पृष्ठ 452-453

3 टिप्पणियाँ

Amit Singh · अगस्त 30, 2021 पर 2:59 अपराह्न

हज़रत मिर्जा गुलाम कादियानी जी के सच्चे प्यार और बयानात से बस यही मन होता है कि मिलूं और कदमबोसी करुंगा। लेकिन ऐसी हम जैसों की किस्मत कहां। बहरहाल इंसानियत के नाम पर खुशदिली के साथ आप और हम दुनिया के लिए मिलें और मिलते रहें, ऐसी कामना करता हूं।

    Husam Ahmed · अगस्त 31, 2021 पर 12:37 अपराह्न

    आप की बात सुनके बड़ी खुशी हुई। इंसानियत के नाम पे हम सब इकठे हैं और हमेशा रहेंगे।

Vipin kumar · फ़रवरी 1, 2023 पर 2:47 अपराह्न

Bakwas bate

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