हज मुस्लमानों के आपसी भाईचारे और इस्लाम में एक ख़ुदा की इबादत का वास्तविक उदाहरण है
मुस्लिम जमाअत अहमदिया भारत द्वारा देश वासीयों को ईद की हार्दिक शुभकामनाएँ
हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक स्तंभ है। हर वह मुसलमान जो ताक़त रखता हो उस पर अपने जीवन में एक बार हज बैत-उल्लाह करना फर्ज़ है। यह ईद कुबार्नी की ईद के नाम से भी जानी जाती है। हजऱत इब्राहीम अलैहिस्सलाम और उनकी पत्नी हजऱत हाजर और बेटे हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम की कुबार्नी की याद में हम कुबार्नी की ईद मनाते हैं और हज अदा करते हैं।
पवित्र कुरान हमें बताता है कि ज़ाहरी कुबार्नी का गोशत और उसका खून अल्लाह तआला तक नही पहुँचता बल्कि कुबार्नी करने वाले की नीयत और मानवजाती से की गई सहानुभूति के लिये उसके जज़बात का इज़हार अल्लाह तआला तक पहुँचता है।
यह ईद, हज का फजऱ् अदा करना और जानवरों की कुर्बानीयां देना मात्र ज़ाहरी कुर्बानियां नहीं हैं बल्कि यह एक बहुत बड़े उदेश्य की ओर ध्यान दिलाती है। और वह उदेश्य अल्लाह तआला का हक़ अदा करना और उसकी मख़लूक का हक़ अदा करना है। तथा यही वह हक हैं जिन्हें स्थापित करने के लिये ख़ुदा ने ज़ाहरी कुबार्नी का आदेश दिया है। कुबार्नी की यह रूह हजऱत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्ललाहो अलैही वसल्लम से माध्यम से उच्च स्तर पर पहुँची कि अल्लाह के हक अदा करने के साथ उसके बंदे के हक अदा करने के लिये आपने अपना तन, मन, धन न्यौछाावर कर दिया।
विश्वव्यापी अहम्दिया मुस्लिम समुदाय के पाँचवे खलीफा, हज़रत मिर्ज़ा मसरूर अहमद साहिब (अय्यदहुल्लाहु तआला बिनसरिहिल अज़ीज़) फ़रमाते हैं:
“असल चीज़ तक़वा (धार्मिकता) अपनाना है, और यही चीज़ अल्लाह तक पहुंचती है। क़ुर्बानियों का गोश्त और खून अल्लाह तक नहीं पहुंचते; असल चीज़ क़ुर्बानी की रूह (भावना) है।”
ईद-उल-अज़हा के इन पवित्र दिनों में मुस्लमान यह प्रण करते हैं कि जिस प्रकार हम ने ज़ाहरी कुबार्नी की है वैसे ही हम अल्लाह के हक अदा करने और मानवता से हमर्दी के लिये हर प्रकार की कुबार्नी देने के लिये तैयार रहेंगे।
ईद के इस अवसर पर अहमदिया मुस्लिम जमाअत भारत का यही संदेश है कि हम अपनी ख़वाहिशों को कुर्बान करके, बिना किसी धार्मिक भेदभाव के दूसरों के हक अदा करने को अपना फजऱ् समझ लें। तभी ईद मनाने का हमारा वास्तविक उदेश्य पुर्ण होगा।
क़ादियान दारुल अमन में ईद-उल-अज़हा के मुबारक मौके पर पड़ोसियों ने भी अपने मुसलमान भाइयों को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद दी और नेक तमन्नाओं का इज़हार किया।
अल्लाह से दुआ है कि वह इस ईद को समस्त मुस्लमानों के लिये मुबारक करे और हमें अल्लाह तआला के हक़ अदा करने के साथ उसके बंदों के हक अदा करने की शक्ति प्रदान करता चला जाए। आमीन
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