अनसार अली ख़ान, नाशिक
27 मई 2024
ख़िलाफ़त ए अहमदिया एक आध्यात्मिक आशिर्वाद है, अंतर्राष्ट्रीय अहमदिया मुस्लिम समुदाय के संस्थापक हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद साहब क़ादियानी,मसीह मौऊद व मेहदी मौऊद (उन पर शांति हो) के देहांत के अगले दिन अर्थात २७ मई १९०८ ई. को ख़िलाफत ए अहमदिया का यह आध्यात्मिक सिलसिला शुरू हुआ। संस्थापक अहमदिया मुस्लिम समुदाय हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद साहब क़ादियानी के ख़लीफ़ा (उतराधिकारी) ने समाज में प्रेम शांति तथा मानवता की स्थापना के उद्देश्य से जो अथक प्रयास किए हैं और कर रहे हैं वह वास्तव में सराहनीय हैं।
कभी दुआ के माध्यम से मख़लूक़ ए ख़ुदा की भलाई के लिए तो कभी अपने अविस्मरणीय आध्यात्मिक संबोधन के माध्यम से देश व दुनिया को उत्पीड़न से रोकने का प्रयास करते हैं , कभी वह अपने उपदेशों में मुसलमानों को सुधार और भविष्य की कार्ययोजना के बारे में बताते दिखते हैं तो कभी अपने पत्रों के माध्यम से शांति की राह में आने वाली बाधाओं को दूर करने की निःस्वार्थ चेष्टा करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय अहमदिया मुस्लिम समुदाय के आध्यात्मिक ख़लीफ़ा परम पावन हज़रत मिर्ज़ा मसरूर अहमद ने २२ अक्टूबर २००८ को यु.के. पार्लेमेंट को संबोधित किया। सन २०१२ में जर्मनी के सेना मुख्यालय में भाषण दिया। लंदन में आयोजित नौवें शांति सम्मेलन को आपने संबोधित किया। सन २०१२ में ही अमेरिका के कैपिटल हिल में ऐतिहासिक भाषण दिया। दिसंबर २०१२ में आपने युरोपीयन पार्लेमेंट को संबोधित किया, जिसमें ३० देशों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए थे। इसके अतिरिक्त आपने ईसाईयों के धार्मिक मार्गदर्शक पोप साहेब को तथा अंतर्राष्ट्रीय राजनेताओं को विश्वशांति के संदर्भ में पत्र भी भेजे जिनमें (१) इज़राइल के तत्कालीन प्रधानमंत्री मि. बिन्जामिन नेतिनयाहु (२) ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति महमूद अहमदी निजाद (३) अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा (४) कैनेडा के प्रधानमंत्री मि.स्टेफन हॉर्पर (५) सऊदी अरब के बादशाह मि.अब्दुल्लाह बिन अब्दुल अज़ीज़ अल सऊद (६) चीन के राष्ट्रपति मी.जियाबाओ (७) ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री मी. डेविड कैमरुन (८) जर्मनी के चांस्लर मी. एंजिला मर्कर (९) फ्रेंच रिपब्लिक के प्रेसीडेंट (१०) ब्रिटेन की महरानी एलिजाबेथ (११) ईरान के धार्मिक नेता मि.आयतुल्लाह खेमिनी शामिल हैं।
२२ अक्टूबर २००८ को ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स को संबोधित करते हुए दुनिया भर में हो रहे युद्धों और उनके दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी देते हुए अहमदिया मुस्लिम समुदाय के वैश्विक ख़लीफ़ा हज़रत मिर्ज़ा मसरूर अहमद ने कहा कि :
यदि हम गत कुछ सदियों का निष्पक्ष विश्लेषण करें तो हमें ज्ञात होगा कि तत्कालीन युद्ध वास्तव में धार्मिक युद्ध न थे अपितु विश्व-राजनीति से संबंधित युद्ध थे। यहां तक कि वर्तमान लड़ाई-झगड़े तथा कौमों के मध्य शत्रुताओं से यह विदित होता है कि इन सब के परिप्रेक्ष्य में राजनैतिक, क्षेत्रीय एवं आर्थिक स्वार्थ होते हैं। मुझे यह आशंका है कि विश्व के देशों की राजनैतिक,आर्थिक गतिविधियां और उनके समस्त प्रेरक विश्व युद्ध की ओर ले जा सकते हैं। केवल विश्व के ग़रीब देश ही नहीं अपितु अमीर देश भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। अतः यह विश्व शक्तियों का कर्त्तव्य है कि वे बैठकर विचार करें तथा विनाश के कगार पर खड़ी मानवता को बचाएं।
इसी प्रकार एक अन्य अवसर पर विश्व शांति की बहाली के लिए ब्रिटिश सरकार का मार्गदर्शन करते हुए उन्होंने तत्कालीन ब्रिटिश प्रधान मंत्री आदरणीय श्री डेविड केमरून को लिखे अपने एक पत्र में लिखा कि:
मैं आपको पुनः स्मरण कराता हूं कि ब्रिटेन भी उन देशों में से है जो विकसित और विकासशील देशों पर अपना प्रभाव डाल सकते हैं और डालते हैं। यदि आप चाहें तो आप न्याय और इन्साफ़ की मांगों को पूरा करते हुए विश्व का पथ-प्रदर्शन कर सकते हैं। अतः ब्रिटेन तथा अन्य शक्तिशाली देशों को विश्व शान्ति की स्थापना के लिए अपनी भूमिका निभानी चाहिए। अल्लाह तआला आपको और विश्व के अन्य नेताओं को यह सन्देश समझने का सामर्थ्य प्रदान करे।
अहमदिया मुस्लिम समुदाय के वैश्विक ख़लीफ़ा ने अपने पत्रों के माध्यम से वैश्विक संदर्भ में बने कुछ बड़े गुटों को बार-बार संबोधित किया और उन्हें बार-बार यह विश्वास दिलाया कि दुनिया जिस तीव्रता से विनाश की ओर बढ़ रही है विश्व नेताओं को इस पहलू पर बहुत गंभीरता से विचार करना होगा। अत: इज़राइल के प्रधान मंत्री को २६ फ़रवरी २०१२ में लिखे एक पत्र में आपने कहा कि:
मेरा आप से यह निवेदन है कि विश्व को एक विश्व युद्ध में झोंकने की बजाए विश्व को यथासंभव विनाश से बचाने का प्रयत्न करें। शक्ति द्वारा विवादों का समाधान करने के स्थान पर वार्तालाप के द्वारा उनका समाधान करने का प्रयास करना चाहिए ताकि हम अपनी भावी पीढ़ियों को बतौर उपहार एक उज्ज्वल भविष्य दें, न कि हम उन्हें विकलांगताओं जैसे दोषों का उपहार दें।
फिर इस्लामी गणतंत्र ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद को ७ मार्च २०१२ को भेजे एक पत्र में कहा कि:
आजकल विश्व में बहुत अशान्ति और बेचैनी है। बहुत से देशों में छोटे स्तर के युद्ध आरंभ हो चुके हैं जबकि अन्य स्थानों में महा-शक्तियां शान्ति स्थापित करने के बहाने हस्तक्षेप कर रही हैं। प्रत्येक देश किसी अन्य देश की सहायता या विरोध में प्रयासरत है परन्तु न्याय की मांगे पूर्ण नहीं की जा रहीं। मैं खेद के साथ कहता हूं कि यदि अब हम विश्व की वर्तमान परिस्थितियों को ध्यानपूर्वक देखें तो हमें ज्ञात होगा कि एक और विश्व-युद्ध की नींव पहले ही रखी जा चुकी है।
आज के संघर्षपूर्ण और अशांत वातावरण में जहां हर कोई शांति की तलाश में है। उन सभी के लिए ये उपदेश मरूभूमि में फंसे उस प्राणी के लिए एक जीवन रेखा है जो पानी की एक बूंद की आस में जीवित है। काश दुनिया इस वास्तविकता को समझ पाती।
2 टिप्पणियाँ
Ansar Ali Khan · मई 27, 2024 पर 10:33 पूर्वाह्न
Khilafat e Ahmadiyya Zindabad…
Bushra Nusrat · मई 27, 2025 पर 10:12 पूर्वाह्न
Khilafat Ahmadiya zindabad