खिदमत-ए-ख़ल्क़
كُنتُم خَيرَ أُمَّةٍ أُخرِجَت لِلنّاسِ تَأمُرونَ بِالمَعروفِ وَتَنهَونَ عَنِ المُنكَرِ وَتُؤمِنونَ بِاللَّهِ ۗ وَلَو آمَنَ أَهلُ الكِتابِ لَكانَ خَيرًا لَهُم ۚ مِنهُمُ المُؤمِنونَ وَأَكثَرُهُمُ الفاسِقونَ(سورة آل عمران، آیت ۱۱۱)
“तुम सर्वश्रेष्ठ उम्मत (जाति) हो जो समस्त मनुष्यों के लाभ के लिए उत्पन्न की गई हो। तुम अच्छी बातों का आदेश देते हो और बुरी बातों से रोकते हो और अल्लाह पर ईमान लाते हो। और यदि अहले किताब भी ईमान ले आते तो यह उनके लिए बहुत अच्छा होता। उनमें मोमिन भी हैं परन्तु अधिकतर उन में से पापी लोग हैं।” (3:111)
इस्लाम सहानुभूति का धर्म है जो एक मुसलमान से मांग करता है कि वह समस्त मनुष्यों का ख्याल रखे। मानवता की सेवा एक सर्वश्रेष्ठ मनुष्य बनने के लिए अत्यंत आवश्यक है। अल्लाह तआला पवित्र क़ुरआन में फ़रमाता है
"और एक-दूसरे से शिष्टाचार करना भुला न देना"
(2:238) ट्वीट करें
इस्लाम धर्म के संस्थापक हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने हर एक से प्रेम, सहानुभूति और नरमी का व्यवहार करने पर बल दिया। आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने यह भी आदेश दिया है कि हमें एक-दूसरे के लिए धन्यवाद की भावनाओं का भी प्रदर्शन करना चाहिए। आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम फ़रमाते हैं :
जो बन्दों का शुक्र नहीं करता वह ख़ुदा का भी शुक्र अदा नहीं करता"
(तिरमिज़ी) ट्वीट करें
अहमदिया मुस्लिम जमाअत दुनिया भर में सार्वजनिक कल्याण के कार्यों में बढ़-चढ़ कर भाग लेती है। “प्रेम सबके लिए और घृणा किसी से नहीं” जैसी शिक्षा से भरी हुई बिना किसी भेद-भाव के हर ज़रूरतमंद को सहायता देती है। ख़ुदा की सृष्टि से सहानुभूति पर आधारित यह नियम दीर्घकाल से जमाअत अहमदिया का माटो और विशेषता रही है। ख़िदमत-ए-ख़ल्क़ (मानवता की सेवा)जो जमाअत के युवा संगठन ख़ुद्दामुल अहमदिया के प्रबंध अधीन है यह इस माटो का व्यवहारिक प्रदर्शन है जिस पर जमाअत अहमदिया कार्य करती है। सम्पूर्ण संसार में लोगों की सेवा और शांति को स्थापित करने के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सामान्य रूप से इसी माध्यम से अहमदिया मुस्लिम जमाअत अपने प्रकाशित किए हुए माटो का व्यावहारिक सबूत प्रस्तुत करती है।
अहमदिया मुस्लिम जमाअत के प्रत्येक व्यक्ति में मौजूद मानवता की सेवा की भावना क़ुरआन और हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की शिक्षाओं से प्रभावित है।
पवित्र क़ुरआन में अल्लाह तआला मुसलमानों से संबोधित हो कर कहता है : तुम सर्वश्रेष्ठ उम्मत (क़ौम) हो जो लोगों की भलाई के लिए नियुक्त किए गए हो। तुम अच्छी बातों के करने का आदेश देते हो और बुरी बातों से रोकते हो और अल्लाह पर ईमान लाते हो।
लोगों की भलाई के लिए प्रयास करना एक ऐसा मूल सिद्धांत है जिसे क़ुरआन प्रत्येक मुसलमान के जीवन में स्थापित करना चाहता है। जिस भावना के साथ नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने लोगों की भलाई के लिए कार्य किया वह समस्त लोगों के लिए एक आदर्श है। रिवायत में आता है कि नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने एक बार फ़रमाया :
‘समस्त जीव अल्लाह तआला का कुम्बा (परिवार) है अतः अल्लाह तआला के निकट सब से प्रिय वह व्यक्ति है जो मानवता के लिए सर्वाधिक लाभदायक हो। ’
नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की हार्दिक इच्छा थी कि समस्त लोग एक परिवार के समान इकट्ठे हो जाएं और एक दूसरे से न्याय और विनम्रता का व्यवहार करें। आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का भाषण जो आपने हज्जतुल विदा(अंतिम हज) के अवसर पर दिया उसमें आप ने फ़रमाया:
“ समस्त मानव चाहे वे किसी भी क़ौम या जाति से संबंध रखते हों और दुनिया में उनका कैसा ही पद हो, अल्लाह के निकट वे सब समान हैं। उसने तुम्हें एक-दूसरे का भाई बनाया है इसलिए आपस में विरोध न करो। एक अरब वाले को अजमी(गैर अरब) पर कोई विशेषता नहीं और न ही किसी अजमी को अरबी पर। और न किसी गोरे को काले पर और न ही किसी काले को गोरे पर।”
इस उपरोक्त लिखित शिक्षा से प्रभावित हो कर जमाअत अहमदिया मानवता की प्रत्येक संभव सहायता करने का प्रयास करती है। अहमदिया मुस्लिम जमाअत का ईमान (विश्वास) है कि मानवता की सेवा का किसी विशेष धर्म या जाति से संबंध नहीं। समस्त मनुष्य ख़ुदा की सृष्टि हैं। ख़ुदा की सृष्टि से प्रेम और दया का व्यवहार निश्चित रूप से ख़ुदा के प्रेम का ज़मानतदार है। यह वह सिद्धांत है जिसका हमारी जमाअत समर्थन करती है। जमाअत अहमदिया के संस्थापक हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद क़ादियानी मसीह मौऊद व महदी मौहूद अलैहिस्सलाम ख़ुदा की सृष्टि से अत्यधिक सहानुभूति रखते थे। आप अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं:
"मैं मानव (जाति) से ऐसा प्रेम करता हूँ कि जैसा पिता अपनी सन्तान से या उस से भी बढ़ कर।" (पुस्तक अरबईन)
"हे मेरे देश वासियो! वह धर्म, धर्म नहीं है जिस में सामान्य हमदर्दी की शिक्षा न हो। और न वह मनुष्य, मनुष्य है जिस में हमदर्दी का तत्व न हो।" (पुस्तक पैग़ाम-ए-सुलह)
पवित्र क़ुरआन के दो ही बड़े आदेश हैं एक ख़ुदा तआला की तौहीद, उस से प्रेम और उसका आज्ञापालन दूसरा अपने भाईयों तथा मानवजाति की हमदर्दी। (इज़ाला औहाम)
जब कभी मानवता को स्कूल, क्लीनिक या हस्पताल खोलने के लिए धन की सहायता की आवश्यकता पड़ी उस समय जमाअत अहमदिया ने इस भलाई के कार्य में बढ़-चढ़ कर भाग लिया और सीमित संसाधनों के बावजूद जो भी पास था वह प्रस्तुत किया। जमाअत के लोगों ने अपनी और अपने परिवार की आवश्यकताओं को पीछे रख कर क़ुर्बानियां कीं। ऐसी सैंकड़ों आभुषण तक दे दिए।
अहमदिया मुस्लिम जमाअत के लोगों की क़ुर्बानियों और मानवता की सेवा और ग़रीबों तथा वंचितों के लिए हर संभव प्रयास करने के पीछे जो उनका जज़्बा है यह उस आदर्श का चित्रण करता है जो पिछली सदियों में आंहज़रत सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम और आप के ख़लीफ़ाओं के द्वारा स्थापित किया गया।
अहमदिया मुस्लिम समुदाय देश भर में छोटे और बड़े स्कूलों का निर्माण करके और स्थापना करके मानवता की सेवा कर रहा है।
अहमदिया मुस्लिम समुदाय दुनिया भर में छोटे क्लीनिक बना कर दुखी इंसानियत की सेवा कर रही है और नूर अस्पताल, फजले उमर और ताहिर हार्ट इंस्टीट्यूट जैसे अस्पताल भी चला रहा है।
आप जैसे स्वयंसेवकों की मदद से हमारा "दृष्टि का उपहार" कार्यक्रम मुफ्त में हज़ारों बेसहारा लोगों की आंखों की देखभाल कर रहा है।
अहमदिया मुस्लिम समुदाय उन लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए कई चिकित्सा शिविरों का आयोजन करता है जिन्हें बेहतर स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता होती है।
ख़लीफ़ाओं के ख़ुदाई नेतृत्व के अधीन अहमदिया मुस्लिम जमाअत मानवता की भलाई के लिए प्रयास कर रही है। यह आंहज़रत सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के समय में की जाने वाली सेवाओं और प्रयासों के समान हैं। अहमदिया मुस्लिम जमाअत अपनी स्थापना के समय से ही इस भलाई के कार्य में बढ़-चढ़ कर भाग लेती आई है। हमारे मिश्नरी प्रत्येक स्थान पर मानवता को संमार्ग की ओर निमन्त्रण देते चले आए हैं। इस मार्ग में उन्होंने बहुत क़ुर्बानियाँ प्रस्तुत की हैं।
अहमदिया मुस्लिम जमाअत दुनियाभर में स्कूलों का निर्माण, होम्योपैथी और अन्य क्लीनिक्स तथा अस्पताल जैसे नूर अस्पताल, फ़ज़ल-ए-उमर अस्पताल और ताहिर हार्ट इंस्टिट्यूट का निर्माण कर के मानवता की सेवा कर रही है। हज़ारों-हज़ार ज़रूरतमंदों का बिना किसी भेद-भाव के उपचार हो रहा है। चिकित्सक मानवता की सेवा के लिए अपने समय की क़ुर्बानियाँ कर रहे हैं।
1917 ई० में अहमदिया मुस्लिम जमाअत भारत ने स्थानीय लोगों को चिकित्सकीय सहायता और स्वास्थ्य लाभ उपलब्ध कराने के लिए क़ादियान में नूर अस्पताल की स्थापना की। पिछले 100 वर्षों में नूर अस्पताल ने लोगों की बदलती ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए काफ़ी प्रगति कर ली है। 2017 में नूर अस्पताल की स्थापना को 100 वर्ष पूरे हुए।
इस अस्पताल का इतिहास अहमदिया जमाअत के संस्थापक हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम जो कि 1835 ई० में पैदा हुए, के मुबारक दौर तक जाता है। ऐसे समय में जब क़ादियान में कोई अस्पताल नहीं होता था आप अलैहिस्सलाम पूर्ण कृपालुता और खुले दिल से क़ादियान और आस-पास के लोगों को निःशुल्क दवाइयां देते थे। आप फ़रमाया करते थे :
“To provide medical assistance to sick & patients is a work of great reward. A true believer should not be lazy or careless in these works.”
नूर अस्पताल जमाअत अहमदिया का प्रथम एलोपैथिक अस्पताल है जो क़ादियान में स्थापित किया गया। इसके बाद जमाअत ने दुनिया के विभिन्न भागों में विशेषतः तीसरी दुनिया और अफ़्रीकन देशों में ग़रीबों और ज़रूरतमंदों की सहायता के लिए अन्य अस्पताल स्थापित किए।
आज नूर अस्पताल अपने क्षेत्र में एक प्रसिद्ध और मान्य अस्पताल है। अहमदी डॉक्टर जिन्होंने विभिन्न चिकित्सकीय विभागों में Specialize किया है उन्होंने इस अस्पताल में सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। अस्पताल मरीज़ों की सहायता के लिए नवीन उपकरणों से लैस है। यहाँ के डॉक्टर न केवल चिकत्सकीय सहायता देते हैं अपितु अपने मरीज़ों का विशेष ध्यान रखते हैं और उनके शीघ्र स्वास्थ्य के लिए ख़ुदा से दुआ भी करते हैं क्योंकि हमारी आस्था है कि डॉक्टर तो केवल इलाज कर सकते हैं परन्तु स्वास्थ्य तो अल्लाह ही देता है। इस ईमान (विश्वास) के कारण अस्पताल ने भयानक बीमारियों से मरीज़ों के चमत्कारिक रूप से ठीक होने का अवलोकन किया है।
आज नूर अस्पताल में निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध हैं:
ENT, Ophthalmic, Orthopedic, Ultrasonography, Dental, Physiotherapy, X-ray & ECG, Cardiology, Nephrology, Laboratory (for all kind of Tests), Dialysis Center, Homeopathic Department.
नूर अस्पताल विभिन्न Healthcare specialties उपलब्ध करवा रहा है जैसे cardiology, ophthalmology, orthopedics, Pediatrician, Lung specialist, neurologist etc.
नूर अस्पताल में मरीज़ों की देख-भाल के लिए चौबीस घंटे emergency service और paramedical facilities उपलब्ध हैं जैसे Laboratory, X-ray, E.C.G, TMT Ambulances service। नूर अस्पताल में कुल स्टाफ़ की संख्या 98 है। 4 अहमदी डॉक्टर हैं, 6 Specialized visiting Doctors. नूर अस्पताल मुफ़्त में होम्योपैथी का उपचार भी उपलब्ध कराता है जो बहुत उपयोगी और सस्ता है। जमाअत ने हिंदुस्तान के विभिन्न शहरों और गाँव में होम्योपैथी डिस्पेंसरियां स्थापित की हैं जिन में निःशुल्क इलाज होता है।
शिक्षा के क्षेत्र में अहमदियत का इतिहास बहुत विस्तृत है। हज़रत मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम ने अपने जीवन काल में सांसारिक शिक्षा की प्राप्ति के लिए क़ादियान में एक स्कूल का उद्घाटन किया था ताकि आध्यात्मिकता की पहचान और ख़ुदा तथा उसकी विशेषताओं के ज्ञान में लाभकारी सिद्ध हो। हज़रत मसीह मौऊद अलैहिस्सलाम के स्थापित किए हुए इस स्कूल से समाज के कमज़ोर भाग से संबंध रखने वाले बच्चों ने आरंभिक शिक्षा प्राप्त की। 25 जुलाई 1912 ई० को हज़रत ख़लीफ़तुल मसीह प्रथम ने क़ादियान में तालीम-उल-इस्लाम हाई स्कूल की बुनियाद रखी। तालीम-उल-इस्लाम हाई स्कूल पंजाब में अपनी बिल्डिंग, खेल के मैदान और शिक्षा के आधुनिक उपकरणों के कारण एक प्रसिद्ध नाम था। यहाँ तक कि बाहर से आने वाले छात्रों ने भी यहाँ प्रवेश लिया। जमाअत को क़ादियान में देश के बंटवारे से पहले एक कालिज और अनुसंधान संस्थान स्थापित करने का भी अवसर मिला जिसने विभिन्न सफ़ल शैक्षिक सफलताओं में अपना किरदार निभाया।
वर्तमान समय में क़ादियान में जमाअत अहमदिया तीन स्कूल चला रही है। लड़कों के लिए तालीम-उल-इस्लाम हाई स्कूल, लड़कियों के लिए नुसरत गर्ल्स हाई स्कूल और बच्चों के लिए इक़रा किंडर गार्टन। यह स्कूल बिना किसी भेद-भाव के प्रत्येक वर्ग के छात्रों के लिए मुफ़्त और उच्च स्तरीय शिक्षा उपलब्ध करा रहे हैं। यह स्कूल नवीन शिक्षकीय उपकरणों से भी सुसज्जित है। जैसे स्मार्ट बोर्ड, प्रयोगशाला सुविधाएं जो छात्रों की शिक्षा संबंधी योग्यताओं में बढ़ोतरी करते हैं।
अहमदिया मुस्लिम जमाअत हिंदुस्तान में 15 अन्य स्कूल और शैक्षिक विभाग चला रही है। 5 स्कूल जम्मू कश्मीर में, 3 केरला, 2 यूपी, 2 आसाम और 2 जम्मू रीजियन में। यह स्कूल कमज़ोर तबक़े के बच्चों की उन्नति और शिक्षकीय स्तर बढ़ाने में अपना महत्वपूर्ण किरदार निभा रहे हैं।
मज्लिस ख़ुद्दामुल अहमदिया भारत ने स्थानीय लोगों को सेवाएं देने हेतु महत्वपूर्ण योगदान दिया है। निम्नलिखित बातें इन सेवाओं पर आधारित हैं
देश भर में स्थानीय और लोकल स्तर पर विभिन्न चेकअप और मेडिकल कैम्पस लगाए गए। खुद्दाम और अतफ़ाल निरंतरता से इस प्रकार के प्रोग्राम्स में भाग लेते हैं और विभिन्न प्रकार के उपहार जैसे चाकलेट, फल, फूल व ग्रीटिंग कार्डस इत्यादि बच्चों को भेंट करते हैं।
देश के विभिन्न क्षेत्रों में बेघर लोगों के लिए खाने का प्रबन्ध किया जाता है। ख़ुद्दामुल अहमदिया के सेवकों की सहायता से खाना, कपड़ा, कंबल और विभिन्न आवश्यक सामग्री बेघर लोगों को पहुंचाई जाती है।
मज्लिस ख़ुद्दामुल अहमदिया भारत नियमित रूप से रक्तदान का आयोजन करती है। इस का उद्देश्य पवित्र क़ुरआन की उस सुन्दर शिक्षा का प्रदर्शन करना है कि “किसी एक व्यक्ति का जीवन बचाना समस्त मानवता को बचाने के समान है।”
मज्लिस ख़ुद्दामुल अहमदिया विभिन्न प्रकार के वृक्षारोपण के कार्यों में भी भाग लेती है।
बाढ़ से प्रभावित लोगों की सहायता: मज्लिस ख़ुद्दामुल अहमदिया ने हिंदुस्तानभर में बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में असमान्य सहायता प्रदान की है। मज्लिस ख़ुद्दामुल अहमदिया सम्पूर्ण हिंदुस्तान में अपने स्थानीय लोगों के द्वारा प्रबंधकों, पुलिस और फ़ौज की Flood Relief के कार्यों में सहायता करती रही है। कंबल बांटे गए हैं और Humaniy First के माध्यम से पीने के पानी का प्रबंध किया गया।
हम सम्पूर्ण संसार में Humaniy First के माध्यम से आपदाओं से लड़ने के लिए प्रथम पंक्ति में खड़े हैं। यह एक गैर सियासी और गैर सरकारी राहत एवं विकास संगठन है जो विश्वभर में समुदायों की सहायता से अत्यंत ग़रीब और असुरक्षित लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा करने और मानवीय जीवन की सुरक्षा और पवित्रता को निश्चित करने के लिए प्रयासरत है। हमारी जमाअत के सदस्य निःस्वार्थ क़ुर्बानियों, प्रेम और आत्मसमर्पण की भावना के साथ मानवता की सेवा कर रहे हैं।
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